रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा के लिए EPF योजना का महत्व
EPF योजना का परिचय
हर व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद अपने परिवार के साथ सुखद जीवन जीने की इच्छा रखता है। इसके लिए सही समय पर योजना बनाना आवश्यक है। सरकार बुजुर्गों को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है, जिनमें से एक प्रमुख योजना कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) है। यह योजना वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।EPF योजना का कार्यप्रणाली
EPF केवल एक बचत योजना नहीं है, बल्कि यह रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सहारा प्रदान करने के लिए एक मजबूत ढांचा है। इसमें मुख्यतः दो भाग शामिल हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि योजना (EPF): यह एक बचत योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों नियमित रूप से धन जमा करते हैं। रिटायरमेंट के बाद, आपको जमा की गई राशि ब्याज सहित प्राप्त होती है।
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS): यह योजना विशेष रूप से पेंशन के लिए है। रिटायरमेंट के बाद आपको मासिक पेंशन मिलती है। यदि सदस्य की असामयिक मृत्यु होती है, तो उसके परिवार को भी पेंशन मिलती है।
आपका योगदान कैसे होता है
कर्मचारी और नियोक्ता दोनों आपके मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) का 12% आपके EPF खाते में जमा करते हैं। नियोक्ता के योगदान में से 8.33% EPS में जाता है, जबकि 3.67% आपके EPF खाते में जमा होता है। इस राशि पर सालाना चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है, जो कर-मुक्त होता है।
केंद्र सरकार द्वारा गठित सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज हर वर्ष ब्याज दर निर्धारित करता है। वर्तमान में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ब्याज दर 8.25% है।
आपके EPF में कितना पैसा जमा है?
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता 25,000 रुपये प्रति माह है।
कर्मचारी का मासिक योगदान (12%): 3,000 रुपये
नियोक्ता का मासिक योगदान (EPF में 3.67%): 917.50 रुपये
कुल मासिक योगदान (आपके EPF खाते में): 3,917.50 रुपये
वार्षिक योगदान: 47,010 रुपये
इस गणना के अनुसार, 8.25% की वार्षिक ब्याज दर पर, आपका EPF फंड इस प्रकार बढ़ेगा।
10 साल में: लगभग 7.45 लाख रुपये
15 साल में: लगभग 14.08 लाख रुपये
20 साल में: लगभग 23.09 लाख रुपये
इसका अर्थ है कि यदि आप नियमित रूप से EPF में योगदान करते हैं, तो रिटायरमेंट के समय आपके पास एक बड़ी राशि होगी, जो आपके भविष्य को सुरक्षित करेगी। यह योजना न केवल बचत के लिए है, बल्कि सुरक्षित रिटायरमेंट जीवन के लिए एक मजबूत आधार भी है।