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रुपये की गिरावट पर वित्त मंत्री का बयान: सरकार की नजरें सतर्क

हाल के दिनों में रुपये की डॉलर के मुकाबले गिरावट ने वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने बताया कि सरकार रुपये की स्थिति पर नजर रखे हुए है और हाल में किए गए जीएसटी सुधारों का भी जिक्र किया। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण रुपये में गिरावट आई है, जिससे कई भारतीय उद्योग प्रभावित हुए हैं। जानें इस विषय पर और क्या कहा वित्त मंत्री ने और इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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रुपये की गिरावट पर वित्त मंत्री का बयान: सरकार की नजरें सतर्क

डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी


हाल के दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। शुक्रवार को यह 88.27 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर है। कारोबार के दौरान यह 88.38 तक भी गिर गया। आने वाले समय में रुपये में और गिरावट की आशंका जताई जा रही है।


वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया

जब इस विषय पर वित्त मंत्री से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि सरकार रुपये की स्थिति पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि केवल रुपये ही नहीं, बल्कि विश्व की कई मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई हैं। इसके साथ ही उन्होंने हाल में लागू किए गए जीएसटी सुधारों का भी उल्लेख किया, जो आम जनता के लिए राहतकारी साबित हुए हैं।


टैरिफ का प्रभाव

रुपये की गिरावट का एक प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों को माना जा रहा है, जिसमें भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ शामिल हैं। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाया है, जिसमें रूस से कच्चा तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। इससे भारत के कपड़ा, हीरा, झींगा, चमड़ा, रसायन और मशीनरी जैसे क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।


भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते

भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024-25 में दोनों देशों के बीच 131.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जिसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा। वित्त मंत्री ने इस रिश्ते को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अनुचित शुल्कों का भारत उचित जवाब देगा।


जीएसटी में कटौती का प्रभाव

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के अनुसार, जीएसटी दरों में हाल की कटौती से सरकार को 3,700 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी में सुधार के कारण यह राजस्व हानि होगी। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का वार्षिक प्रभाव 48,000 करोड़ रुपये होगा।


राजकोषीय घाटे पर प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, विकास और उपभोग में वृद्धि के चलते न्यूनतम राजस्व हानि 3,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जिसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हाल ही में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में चार-स्तरीय ढांचे को दो-स्तरीय ढांचे में बदला गया है, जिसमें 18% और 5% की मानक दरें शामिल हैं।