संभल में मतदाता सूची में भारी गिरावट: जानें क्या है कारण और क्या करें प्रभावित वोटर्स
संभल में मतदाता सूची का पुनरीक्षण
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के बाद वोटरों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। इस प्रक्रिया के दौरान, जिले के कुल मतदाताओं में से 20 प्रतिशत के नाम ASD (Absent, Shifted, Deceased) श्रेणी में डाल दिए गए हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
यहां तक कि यह गिरावट सभी विधानसभा क्षेत्रों में समान रूप से नहीं देखी गई। मंत्री गुलाब देवी की विधानसभा सहित कई क्षेत्रों में हजारों मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। प्रशासन का कहना है कि यह कदम मतदाता सूची को साफ और सटीक बनाने के लिए उठाया गया है।
SIR के पहले चरण में कितने वोटर हटाए गए
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, SIR के पहले चरण में संभल जिले में कुल 15 लाख 70 हजार 306 मतदाता पंजीकृत थे। इनमें से 3 लाख 19 हजार 6 मतदाताओं के नाम ASD श्रेणी में चिह्नित किए गए हैं, जिसके बाद इन्हें मतदाता सूची से हटा दिया गया।
ASD श्रेणी में कौन-कौन से मतदाता शामिल हैं
जिलाधिकारी के अनुसार, ASD में वे मतदाता शामिल हैं जो:
- मृत पाए गए हैं
- लंबे समय से अनुपस्थित हैं
- स्थानांतरित हो चुके हैं
- या फिर डुप्लिकेट पाए गए हैं
SIR के दौरान जिनके फॉर्म प्राप्त नहीं हुए, उन्हें भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
नो मैपिंग वाले मतदाताओं को अभी भी मौका
डीएम ने बताया कि जिले में 6.87 प्रतिशत मतदाता ऐसे हैं, जिनकी नो मैपिंग हुई है। इसका मतलब है कि उनके विवरण पुरानी मतदाता सूचियों से सही तरीके से मेल नहीं खा सके। ऐसे मतदाताओं को अब भी अवसर दिया गया है कि वे आवश्यक दस्तावेज या स्पष्टीकरण देकर दावा-आपत्ति दर्ज कराएं। सही प्रक्रिया पूरी करने पर उनके नाम दोबारा मतदाता सूची में जोड़े जा सकते हैं।
विधानसभा वार वोट बैंक में कमी
SIR के इस चरण का असर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर स्पष्ट रूप से देखा गया है।
- चंदौसी (SC) विधानसभा में सबसे ज्यादा 99,183 वोट घटे
- गुन्नौर में 95,313 वोटरों के नाम कटे
- संभल विधानसभा में 73,727 वोट कम हुए
- जबकि असमोली में सबसे कम 50,781 वोटरों की संख्या घटी
ASD और नो मैपिंग की प्रक्रिया
ASD श्रेणी में वे मतदाता आते हैं जिनके फॉर्म SIR के दौरान जमा नहीं हुए या जिन्हें मृत, अनुपस्थित, स्थानांतरित या डुप्लिकेट माना गया। वहीं नो मैपिंग वे मामले हैं, जिनका डेटा 2003 या उससे पहले की पुरानी मतदाता सूचियों से मेल नहीं खा सका।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह पूरी प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और त्रुटिरहित बनाने के लिए की जा रही है, ताकि आने वाले चुनावों में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो।
प्रभावित मतदाता क्या करें
जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं या जिनकी नो मैपिंग हुई है, उन्हें सलाह दी गई है कि वे तुरंत अपने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से संपर्क करें या निर्धारित फॉर्म के जरिए दावा-आपत्ति दर्ज कराएं।
