Newzfatafatlogo

संस्कृति और आधुनिकता का संतुलन: यदुवीर वाडियार का प्रेरणादायक संदेश

मैसूर के शाही परिवार के सदस्य यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार ने बेंगलुरु में युवा इंजीनियरों को दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए संस्कृति और आधुनिकता के संतुलन का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि असली सफलता तभी है जब हम अपनी जड़ों को नहीं भूलते। उनका संदेश युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो सफलता की खोज में अपनी पहचान खो रहे हैं। जानें उनके विचार और प्रेरणा के स्रोत के बारे में।
 | 
संस्कृति और आधुनिकता का संतुलन: यदुवीर वाडियार का प्रेरणादायक संदेश

युवाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश

आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में, हम अक्सर नई तकनीकों और आधुनिकता की दौड़ में यह भूल जाते हैं कि हमारी असली ताकत हमारी संस्कृति और प्राचीन ज्ञान में निहित है। इस महत्वपूर्ण संदेश को मैसूर के शाही परिवार के सदस्य, यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार ने युवा इंजीनियरों को एक सुंदर तरीके से समझाया।

बेंगलुरु में एम. विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, यदुवीर वाडियार ने कहा, "आप चाहे कितनी भी नई तकनीकें सीखें या कितनी भी बड़ी सफलताएँ प्राप्त करें, लेकिन यदि आप अपनी संस्कृति और जड़ों को भूल जाते हैं, तो उस सफलता का कोई अर्थ नहीं है।" उन्होंने युवा इंजीनियरों को मशीनें और इमारतें बनाने वाले नहीं, बल्कि समाज को समझने वाले और अपनी विरासत पर गर्व करने वाले बनने की सलाह दी। उनका संदेश स्पष्ट था - सच्ची प्रगति वही है जिसमें आधुनिक ज्ञान और पारंपरिक मूल्यों का संतुलन हो।

यदुवीर ने यह भी बताया कि हमारा स्वदेशी ज्ञान, जो वेदों, उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में समाहित है, आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था। उन्होंने कहा, "यह ज्ञान हमें यह नहीं सिखाता कि दुनिया कैसे काम करती है, बल्कि यह भी सिखाता है कि एक अच्छा और सार्थक जीवन कैसे जिया जाए।" उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी परंपराओं को बोझ नहीं, बल्कि एक मजबूत नींव समझना चाहिए, जिस पर हम एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकें।

उनका यह भाषण उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सफलता की खोज में अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। यह हमें याद दिलाता है कि असली उड़ान वही होती है, जिसमें पंख भले ही आसमान में हों, लेकिन पैर अपनी ज़मीन पर मजबूती से टिके रहें।