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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3.66 लाख हटाए गए मतदाताओं की जानकारी पेश करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं की जानकारी 9 अक्टूबर तक पेश करने का आदेश दिया है। अदालत ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए यह निर्देश दिया है। अंतिम मतदाता सूची में नए मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, जबकि कई नाम हटाए गए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के आदेश का महत्व।
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3.66 लाख हटाए गए मतदाताओं की जानकारी पेश करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया के तहत हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह जानकारी 9 अक्टूबर तक सौंपने का निर्देश दिया है, जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी।


पारदर्शिता पर जोर

पारदर्शिता पर सुप्रीम कोर्ट का जोर
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अब जब मसौदा और अंतिम सूची दोनों सार्वजनिक हैं, तो उनकी तुलना कर यह स्पष्ट किया जा सकता है कि किन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं और किनके जोड़े गए हैं। पीठ ने कहा कि कोर्ट के आदेशों का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनसामान्य की भागीदारी को मजबूत करना है। न्यायमूर्ति बागची ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि मसौदा सूची से 65 लाख नाम हटाए गए थे। मृतक या प्रवास कर चुके मतदाताओं के नाम हटाना उचित है, लेकिन हर संशोधन नियम 21 और एसओपी के अनुरूप होना चाहिए।”


अंतिम सूची में बदलाव

अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या बढ़ी
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि अंतिम मतदाता सूची में संख्या बढ़ी है क्योंकि अधिकांश जोड़े गए नाम नए मतदाताओं के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक किसी भी हटाए गए मतदाता ने शिकायत या अपील दर्ज नहीं कराई है। आयोग के अनुसार, 30 सितंबर को जारी अंतिम सूची में कुल मतदाताओं की संख्या घटकर 7.42 करोड़ रह गई, जो पहले 7.89 करोड़ थी। यानी करीब 47 लाख की कमी दर्ज हुई। हालांकि मसौदा सूची (1 अगस्त) की तुलना में अंतिम सूची में 17.87 लाख की बढ़ोतरी हुई है। मसौदा सूची में 65 लाख नाम हटाए गए थे — जिनमें मृतक, स्थानांतरित या डुप्लीकेट मतदाता शामिल थे, जबकि 21.53 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए।