सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की सुनवाई: ईवीएम पर राजनीतिक दलों का विवाद

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की स्थिति
भारत के चुनाव आयोग ने 14 अगस्त को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह “राजनीतिक दलों के संघर्ष के बीच फंस गया है''. आयोग ने कहा कि यदि कोई पार्टी जीतती है, तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को अच्छा माना जाता है, लेकिन हारने पर इसे खराब करार दिया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट के सवाल
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह तर्क जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसने बिहार में एसआईआर के चुनाव आयोग के 24 जून के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की.
ईवीएम पर आयोग की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान आयोग ने कहा, "राजनीतिक दलों के संघर्ष के बीच फंसे हुए हैं, जीतने पर ईवीएम अच्छी होती है, हारने पर खराब. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा, "आप उन लोगों के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर सकते जो मर चुके हैं, पलायन कर गए हैं या अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चले गए हैं?" आयोग के अनुसार, ऐसे नाम पहले ही राजनीतिक दलों को दिए जा चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के सवाल
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, "आप इन नामों को डिस्प्ले बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते? पीड़ित लोग 30 दिनों के भीतर सुधारात्मक उपाय कर सकते हैं. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहता कि नागरिक राजनीतिक दलों पर निर्भर रहें.
सार्वजनिक नोटिस पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह उन वेबसाइटों या स्थानों के विवरण के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने पर विचार करे, जहां मृत, विस्थापित या स्थानांतरित लोगों की जानकारी साझा की जाती है.
विपक्ष का विरोध
बिहार में विपक्षी दलों का विरोध
वास्तव में, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) जैसे विपक्षी दलों के नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान को चुनौती दी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को कहा था कि मतदाता सूचियां "स्थिर" नहीं रह सकतीं और उनमें संशोधन होना आवश्यक है.