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सुमा उइके: मध्य प्रदेश की बदलाव की नायक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में सुमा उइके की कहानी ने सभी का ध्यान खींचा है। डिंडोरी जिले की यह महिला, जो 'बदलाव की नायक' के रूप में जानी जाती हैं, ने ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए हैं। उन्होंने महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपनी स्थानीय विरासत को भी संरक्षित कर रही हैं। सुमा का कार्य न केवल आर्थिक सशक्तिकरण तक सीमित है, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण में भी सक्रिय हैं। उनकी कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की इच्छा रखती हैं।
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सुमा उइके: मध्य प्रदेश की बदलाव की नायक

प्रधानमंत्री मोदी की 'मन की बात' में सुमा उइके का उल्लेख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में मध्य प्रदेश की एक प्रेरणादायक महिला, सुमा उइके, की कहानी ने सभी का ध्यान खींचा है। डिंडोरी जिले की सुमा को उनके अद्वितीय कार्यों के लिए 'बदलाव की नायक' के रूप में मान्यता दी गई है, क्योंकि उन्होंने ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए हैं।
सुमा उइके ने अपनी दूरदर्शिता और मेहनत से डिंडोरी क्षेत्र की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में संगठित किया है। उनका उद्देश्य इन महिलाओं को वन उत्पादों के संग्रह, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन में प्रशिक्षित करना है। इस पहल के माध्यम से महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपनी स्थानीय विरासत को भी संरक्षित कर रही हैं।
उनके प्रयासों से महिलाएं अब महुआ, शहद, इमली और विशेष रूप से सहजन जैसे उत्पादों को एकत्रित कर विभिन्न खाद्य पदार्थ और उत्पाद तैयार कर रही हैं। यह पहल उन्हें बिचौलियों से बचाती है और उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाती है, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सुमा उइके का कार्य केवल आर्थिक सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है; वे पर्यावरण संरक्षण की भी समर्थक हैं। उन्होंने महिलाओं को वृक्षारोपण अभियानों में शामिल किया है, जिससे स्थानीय पर्यावरण को भी लाभ मिल रहा है और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में सुमा उइके के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि उनका मॉडल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने बताया कि सुमा का काम यह दर्शाता है कि छोटे प्रयासों से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
सुमा उइके की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपनी परिस्थितियों को बदलने और समाज में सकारात्मक योगदान देने की इच्छा रखती हैं। उनका समर्पण और नेतृत्व यह साबित करता है कि स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग कर कैसे स्थायी विकास और सशक्तिकरण हासिल किया जा सकता है।