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स्वामी श्रद्धानंद एवं गुरुकुल कांगड़ी , एक शैक्षणिक नवजागरण विषय पर व्याख्यान का आयोजन

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हरिद्वार, 23 फरवरी (हि.स.)। गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा स्वामी श्रद्धानंद एवं गुरुकुल कांगड़ी एक शैक्षणिक नवजागरण विषय पर एक विशिष्ठ व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वेद विभाग, गुरुकुल कांगड़ी के पूर्व प्रोफेसर एवं स्वतंत्रता सेनानी डॉ. भारत भूषण विद्यालंकार रहे। यह कार्यक्रम ऑनलाइन एवं ऑफलाइन, दोनों माध्यमों में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आरंभ वैदिक मंत्रों के सुमधुर उच्चारण से हुआ, जिसके उपरांत डॉ. भारत वेदालंकार ने मुख्य वक्ता समेत सभी का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कार्यक्रम की विषयवस्तु एवं महत्व का संक्षिप्त परिचय दिया।

मुख्य वक्ता डॉ. भारत भूषण विद्यालंकार ने अपने उद्बोधन में अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद के जीवन, उनके कार्यों और गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना में उनकी दृष्टि, संकल्प, संघर्ष एवं त्याग पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार स्वामी श्रद्धानंद जी ने शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उन्होंने शिक्षा एवं साक्षरता में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद एक महान शिक्षाविद थे, जिन्होंने तत्कालीन भारत में शिक्षा व्यवस्था के भारतीयकरण की महती आवश्यकता को अनुभव किया। गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना के मूल में स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रेरणा एवं स्वामी श्रद्धानंद के भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति समर्पण को वर्णित करते हुए उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की महत्ता को श्रोताओं के सम्मुख रखा। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली केवल शैक्षणिक ही नहीं, बल्कि नैतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति का भी आधार है।

उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि आधुनिक समय में गुरुकुलीय शिक्षा की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में जो नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की कमी देखी जा रही है, वह गुरुकुल परंपरा द्वारा ही पूरी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने में भी स्वामी श्रद्धानंद के विचारों एवं गुरुकुलीय जीवन शैली का मौलिक महत्त्व है।

उद्बोधन के उपरांत प्रश्नोत्तरी सत्र हुआ, जिसमें उपस्थित श्रोताओं ने अपने प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं को रखा तथा जिसका विद्वान वक्ता द्वारा समुचित समाधान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. बबलू वेदालंकार ने कहा कि जिस समय देश राजनीतिक दासता के साथ ही मानसिक दासता से भी ग्रस्त था एवं साम्प्रदायिक तथा जातिगत उन्माद चंहुओर व्याप्त थे ऐसी कठिन परिस्थितियों में स्वामी श्रद्धानंद का जीवन एवं उनका बलिदान निश्चित ही प्रेरणास्पद हैं।

इस अवसर पर डॉ. भगवान दास जोशी, डॉ. मीरा त्यागी, डॉ. आशीष कुमार तथा अन्य अध्यापक एवं छात्र-छात्राएं ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यमों से व्याख्यान कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला