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हरियाणा में पेड़ों को मिल रही पेंशन, 75 साल पुराने पेड़ों की देखभाल करने वालों को प्रोत्साहन

हरियाणा में एक अनोखी पहल के तहत, 75 साल या उससे अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल करने वालों को सालाना 3,000 रुपये की पेंशन दी जा रही है। यह योजना न केवल पुराने पेड़ों की देखभाल को प्रोत्साहित करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। करनाल जिले के ललित कुमार जैसे लाभार्थियों की कहानियाँ इस योजना की सफलता को दर्शाती हैं। जानें इस योजना के बारे में और कैसे यह लोगों में जागरूकता बढ़ा रही है।
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हरियाणा में पेड़ों को मिल रही पेंशन, 75 साल पुराने पेड़ों की देखभाल करने वालों को प्रोत्साहन

हरियाणा की अनूठी योजना

हरियाणा में अब पेड़ों को भी पेंशन मिल रही है, जैसे इंसानों को। राज्य सरकार की 'प्राण वायु देवता योजना' के तहत, 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल करने वालों को सालाना 3,000 रुपये की पेंशन दी जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पुराने पेड़ों की देखभाल को बढ़ावा देना और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।


लाभार्थियों की कहानी

करनाल जिले के पुंडरक गांव के निवासी ललित कुमार इस योजना के लाभार्थी हैं। वे 78 साल पुराने आम के पेड़ की देखभाल अपने परिवार के साथ कर रहे हैं, जिसे उनकी दादी ने लगाया था। अब सरकार द्वारा दी जा रही यह पेंशन उनकी मेहनत का सम्मान बन गई है।


योजना का कार्यान्वयन

करनाल फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी पवन शर्मा ने बताया कि यह योजना वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली पेंशन के समान है। हर साल 3,000 रुपये की राशि उन लोगों को दी जाती है, जो इन पुराने पेड़ों का संरक्षण करते हैं।


पेड़ों की पहचान

करनाल जिले में अब तक 112 पेड़ों को इस योजना में शामिल किया गया है, और 55 और पेड़ों की पहचान की गई है, जिन्हें जल्द ही जोड़ा जाएगा। इस योजना की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की थी। पूरे प्रदेश में लगभग 4,000 पेड़ों की पहचान की गई है, जिन्हें इस योजना में शामिल किया जाना है।


जागरूकता में वृद्धि

वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस योजना से लोगों में पेड़ लगाने और उनकी देखभाल के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अक्सर देखभाल की कमी के कारण पुराने पेड़ सूख जाते हैं या काट दिए जाते हैं।


पेंशन का उपयोग

यह पेंशन राशि पेड़ों के लिए खाद, मिट्टी, और ट्रिमिंग जैसे कार्यों पर खर्च की जा सकती है। अधिकारियों का मानना है कि जैसे मानव जीवन की देखभाल की जाती है, वैसे ही इन वृक्षों की भी नियमित देखभाल आवश्यक है ताकि वे लंबे समय तक जीवित रह सकें।