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हरियाणा में शिक्षकों को आवारा कुत्तों की निगरानी का काम सौंपने पर विवाद गहराया

हरियाणा में शिक्षकों को आवारा कुत्तों की निगरानी का कार्य सौंपने के निर्णय पर विवाद गहराता जा रहा है। कैथल में शिक्षकों ने धरना दिया है, उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकता बच्चों को पढ़ाना है। आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है, यह कहते हुए कि सरकार को शिक्षा व्यवस्था की चिंता नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में हजारों शिक्षक पद खाली हैं, जबकि शिक्षकों पर अतिरिक्त जिम्मेदारियां डाली जा रही हैं। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और शिक्षकों की मांगें।
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हरियाणा में शिक्षकों को आवारा कुत्तों की निगरानी का काम सौंपने पर विवाद गहराया

हरियाणा में शिक्षकों की नई जिम्मेदारी पर विवाद


हरियाणा: दिल्ली के बाद अब हरियाणा में शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती और निगरानी का कार्य सौंपने के निर्णय पर राजनीतिक और सामाजिक विवाद बढ़ गया है। इस निर्णय के खिलाफ कैथल जिले में शिक्षक धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि उनकी नियुक्ति का उद्देश्य बच्चों को पढ़ाना है, न कि जानवरों की देखरेख करना। इस तरह के आदेश शिक्षा प्रणाली की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल उठाते हैं।


शिक्षकों का प्रदर्शन

कैथल में शिक्षकों का गुस्सा खुलकर सामने आया है। प्रदर्शन कर रहे अध्यापकों का कहना है कि पहले ही उन पर पढ़ाई के अलावा कई गैर-शैक्षणिक कार्य थोपे जाते रहे हैं, और अब कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देकर सरकार ने हद पार कर दी है। उनका आरोप है कि इससे न केवल शिक्षा का स्तर प्रभावित होगा, बल्कि शिक्षक पद की गरिमा भी कम होती है।


आम आदमी पार्टी का भाजपा सरकार पर हमला

इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय यह दर्शाते हैं कि सरकार को न तो शिक्षा व्यवस्था की चिंता है और न ही शिक्षकों के सम्मान की। उनके अनुसार, राज्य में शिक्षा पहले से ही संकट में है, लेकिन उसे सुधारने के बजाय शिक्षकों को गैर-जरूरी कार्यों में लगाया जा रहा है।


शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता

अनुराग ढांडा ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हरियाणा में लगभग 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, लेकिन 30 हजार से अधिक शिक्षक पद खाली पड़े हैं। स्थिति यह है कि 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं। कई स्थानों पर एक शिक्षक पर 400 से 500 बच्चों की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद, 24 दिसंबर 2025 को कैथल जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी कर हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए।


विश्वविद्यालयों में भी आदेश

यह मामला केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है। रोहतक स्थित महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय में भी 24 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी का कार्य सौंपा गया। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई के केंद्र के बजाय निगरानी और प्रशासनिक कार्यों का स्थान बना दिया है।


सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

अनुराग ढांडा ने यह भी सवाल उठाया कि जब 70 से 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में स्थायी चौकीदार नहीं हैं, और कई जगह एक चौकीदार को दो-तीन स्कूलों की जिम्मेदारी दी जाती है, तब शिक्षकों पर यह अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जा रहा है। उनका कहना है कि यदि सरकार को सच में आवारा कुत्तों और जानवरों की समस्या की चिंता है, तो इसके लिए अलग से एनिमल कंट्रोल या सुरक्षाकर्मियों की भर्ती की जानी चाहिए।


शिक्षकों की भूमिका पर सवाल

आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से सीधे सवाल किया है कि आखिर सरकार यह तय करे कि हरियाणा में शिक्षक पढ़ाने का कार्य करेंगे या कुत्तों की निगरानी। पार्टी का आरोप है कि भाजपा सरकार ने शिक्षकों को बीएलओ, चौकीदार और अब जानवरों का रखवाला बनाकर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई है। पार्टी ने चेतावनी दी कि यह केवल शिक्षकों का मुद्दा नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला है।


अलग भर्ती की मांग

आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि कुत्तों और जानवरों की निगरानी के लिए अलग से सरकारी भर्ती निकाली जाए और शिक्षकों को इस तरह के कार्यों से मुक्त किया जाए। पार्टी का कहना है कि शिक्षा को बोझ और शिक्षकों को मजबूर मजदूर समझने वाली सोच को हरियाणा की जनता अब और स्वीकार नहीं करेगी।