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हरियाणा में सर्दियों में सब्जियों की सुरक्षा के लिए नई योजना

हरियाणा में सर्दियों की शुरुआत के साथ ठंड और कोहरे का असर सब्जी उगाने वाले किसानों पर पड़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, हरियाणा बागवानी विभाग ने किसानों के लिए एक नई सहायता योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, किसानों को मल्चिंग और लो टनल तकनीक अपनाने पर वित्तीय सहायता मिलेगी, जिससे उनकी फसलें सुरक्षित रहेंगी और आय में वृद्धि होगी। जानें इस योजना के लाभ और कैसे किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।
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हरियाणा में सर्दियों में सब्जियों की सुरक्षा के लिए नई योजना

सर्दियों की शुरुआत और किसानों की चुनौतियाँ

हरियाणा में जैसे ही सर्दियों का मौसम शुरू होता है, ठंड, कोहरा और पाला तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसका सीधा प्रभाव सब्जी उगाने वाले किसानों पर पड़ता है, क्योंकि इस मौसम में तापमान में गिरावट से पौधों की वृद्धि रुक जाती है और कई बार फसल को नुकसान होने का खतरा होता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा बागवानी विभाग ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य सर्दियों में सब्जियों को सुरक्षित रखना और किसानों की आय को सुनिश्चित करना है।


सरकार की योजना का उद्देश्य

इस योजना के अंतर्गत, सरकार मल्चिंग और लो टनल तकनीक अपनाने वाले किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, ताकि वे कम लागत में बेहतर उत्पादन कर सकें।


योजना की विशेषताएँ

हरियाणा सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य आधुनिक कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना है। बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने पर न केवल फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि सब्जियों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।


किसानों को मिलने वाली सब्सिडी

  • मल्चिंग तकनीक अपनाने पर ढाई एकड़ भूमि के लिए लगभग 16,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
  • लो टनल विधि के लिए 14.50 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से अनुदान उपलब्ध है।
  • एक किसान अधिकतम 10,000 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए इस योजना का लाभ उठा सकता है।


विशेषज्ञों का मानना है कि इन तकनीकों से सब्जियाँ जल्दी तैयार होती हैं, जिससे किसानों को सीजन की शुरुआत में अच्छे दाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।


योजना का लाभ कैसे उठाएं

इस योजना में शामिल होने के लिए किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना आवश्यक है।


जरूरी दस्तावेज

  • भूमि से जुड़े कागजात
  • परिवार पहचान पत्र
  • फसल संबंधी विवरण


अंबाला, करनाल और कुरुक्षेत्र जैसे जिलों में पहले से ही बड़ी संख्या में किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं और सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।


मल्चिंग तकनीक का महत्व

मल्चिंग में खेत की क्यारियों पर एक विशेष पतली पॉलिथीन शीट बिछाई जाती है, जिसमें पौधों के लिए तय दूरी पर छेद होते हैं।


मल्चिंग के लाभ

  • खरपतवार पर नियंत्रण
  • मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है
  • तापमान संतुलित रहता है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं
  • कीटों, धुंध और पाले से फसल की सुरक्षा


यह तकनीक टमाटर, मिर्च, खीरा, लौकी और करेला जैसी सब्जियों के लिए बेहद कारगर मानी जाती है।


लो टनल विधि का महत्व

लो टनल विधि में पौधों की कतारों के ऊपर पारदर्शी प्लास्टिक शीट लगाकर छोटी सुरंग जैसी संरचना बनाई जाती है।


लो टनल के लाभ

  • ठंड और पाले से पौधों की सुरक्षा
  • तेज हवा और हल्की बारिश का असर कम
  • मिट्टी की नमी बनी रहती है
  • फसल जल्दी तैयार होती है


कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, लो टनल तकनीक से उपज में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी गई है।


किसानों के लिए योजना का महत्व

यह योजना केवल सब्सिडी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों को आधुनिक खेती की ओर ले जाने का एक प्रयास है।


  • उत्पादन लागत में कमी
  • पानी और उर्वरकों की बचत
  • बेहतर गुणवत्ता की सब्जियाँ
  • बाजार में अधिक कीमत मिलने की संभावना


सरकार का मानना है कि यदि अधिक किसान इन तकनीकों को अपनाते हैं, तो राज्य में सब्जी उत्पादन स्थिर रहेगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।


भविष्य की योजनाएँ

बागवानी विभाग आने वाले समय में किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी मार्गदर्शन बढ़ाने की योजना बना रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान इन तरीकों को सही ढंग से अपनाकर लाभ उठा सकें।