हिमाचल प्रदेश में मूसलधार बारिश से भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति

हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की गंभीर स्थिति
हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन: हाल ही में हुई मूसलधार बारिश ने हिमाचल प्रदेश में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्य के कई जिलों में भूस्खलन, जलभराव और सड़कों के अवरुद्ध होने की घटनाएं सामने आई हैं। मंडी जिले में सोमवार रात 11 बजे से शुरू हुई भारी बारिश ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। मंगलवार सुबह बाढ़ जैसी स्थिति में दो लोगों की जान चली गई, जबकि दो अन्य लापता हैं।
अधिकारियों के अनुसार, मंडी जिले के विभिन्न हिस्सों में भारी नुकसान हुआ है। अतिरिक्त उपायुक्त रोहित राठौर ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे भारी बारिश के बाद ऊपरी क्षेत्रों से आया मलबा निचले इलाकों में जमा हो गया, जिससे व्यापक तबाही हुई। यह स्थिति बादल फटने का परिणाम भी हो सकती है। राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में टीमें तैनात की गई हैं।
भूस्खलन की घटनाएं और राहत कार्य
#WATCH | मंडी, हिमाचल प्रदेश: भारी बारिश के चलते मंडी शहर के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। राहत एवं बचाव कार्य जारी है। pic.twitter.com/K6hmbasqKd
— News Media (@NewsMedia) July 29, 2025
मंडी का क्षेत्रीय अस्पताल सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां जलभराव की स्थिति गंभीर है। अस्पताल की ओर जाने वाले मुख्य रास्ते बंद हो चुके हैं और नालियों का पानी ओवरफ्लो कर रहा है। शहर के आसपास कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जिससे सड़कों का संपर्क टूट गया है और लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
हाईवे अवरुद्ध और मौतों की संख्या
चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे: मंडी और कुल्लू के बीच कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे अवरुद्ध हो गया है। सैकड़ों वाहन रास्ते में फंसे हुए हैं और कई स्थानों पर लंबा जाम लग गया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में अब तक 164 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 90 मौतें बारिश से संबंधित घटनाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, डूबने, बादल फटने और बिजली गिरने से हुई हैं, जबकि 74 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं।
मंडी में सबसे अधिक मौतें: मंडी जिले में सबसे अधिक 32 मौतें दर्ज की गई हैं, इसके बाद कांगड़ा और चंबा का स्थान है। मानसून के दौरान राज्य में 200 से अधिक सड़कें बंद हैं, बिजली ट्रांसफार्मर ठप हो चुके हैं और 110 से अधिक जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं। राज्य में अब तक 1523 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है।