हिसार में रोडवेज बसों के नए रूट और किराए में बदलाव

हिसार रोडवेज योजना 2025
हिसार, सिटी रिपोर्टर : शहर की सड़कों पर जाम की समस्या को हल करने के लिए जिला प्रशासन और रोडवेज ने एक नई योजना बनाई है। पहले चरण में, बसें बस स्टैंड के पिछले गेट से सिरसा और चंडीगढ़ रूट पर चलेंगी। इस योजना के तहत पहले चरण में 600 बसों का संचालन होगा। दूसरे चरण में भी 600 बसें इसी स्थान से चलेंगी। रोडवेज के महाप्रबंधक राहुल मित्तल ने बताया कि बसों के पिछले गेट से निकलने पर सिरसा रूट 4 किलोमीटर और चंडीगढ़ रूट 6 किलोमीटर लंबा हो जाएगा।
इस बदलाव के कारण यात्रियों को सिरसा रूट पर 4 रुपये और चंडीगढ़ रूट पर 6 रुपये अधिक किराया देना होगा। लगभग 20 दिन पहले, पीडब्ल्यूडी मंत्री रणबीर गंगवा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें जिला प्रशासन और रोडवेज के अधिकारियों ने इस योजना पर चर्चा की थी। अब इस योजना को मुख्यालय से मंजूरी मिल गई है।
नए रूट और किराए में बदलाव
रोडवेज प्रशासन ने पहले चरण में सिरसा, चंडीगढ़, शिमला, पोंटासाहिब, गंगानगर, बठिंडा, हनुमानगढ़, डबवाली, फतेहाबाद, अनूपगढ़, बालसमंद, भादरा, खारिया, डोबी, सरसाना, बासड़ा, बुड़ाक, बगला, काबरेल और आदमपुर जैसे रूटों पर 600 बसों का संचालन करने का निर्णय लिया है।
इस बदलाव के कारण सिरसा रूट का किराया 105 रुपये से बढ़कर 110 रुपये और चंडीगढ़ का किराया 315 रुपये से बढ़कर 325 रुपये हो गया है। अन्य रूटों पर भी किराए में 5 रुपये की वृद्धि हुई है, जैसे फतेहाबाद (50 से 55 रुपये), उकलाना (60 से 65 रुपये), और आदमपुर (45 से 50 रुपये)।
रूट जिनकी बसें पिछले गेट से चलेंगी
बस स्टैंड के पिछले गेट से चलने वाले रूट में सिरसा, चंडीगढ़, शिमला, पोंटासाहिब, गंगानगर, बठिंडा, हनुमानगढ़, डबवाली, फतेहाबाद, अनूपगढ़, बालसमंद, भादरा, खारिया, डोबी, सरसाना, बासड़ा, बुड़ाक, बगला, काबरेल और आदमपुर शामिल हैं।
फैसले के पीछे की वजह
रोडवेज महाप्रबंधक ने बताया कि पहले चरण में लगभग 600 बसों का संचालन पिछले गेट से किया जाएगा। दूसरे चरण में दिल्ली-राजस्थान की बसें भी शामिल होंगी। इस दौरान विभिन्न पहलुओं की जांच की जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में 600 और बसों का संचालन किया जाएगा। इसमें दिल्ली और पानीपत, जींद की बसें भी पिछले गेट से निकाली जाएंगी।
इससे शहर के भीतर यातायात का दबाव कम होगा। वर्तमान में हिसार डिपो में कुल 262 बसें संचालित हो रही हैं, जिनमें से अधिकांश लंबी दूरी के रूट पर जाती हैं, जबकि बाकी लोकल और ग्रामीण रूट पर चलती हैं।