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05 अगस्त 2025 का पंचांग: पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत का महत्व

05 अगस्त 2025 का पंचांग विशेष पर्वों जैसे पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत के साथ जुड़ा हुआ है। इस दिन का महत्व और पूजा-पाठ से मिलने वाले लाभों के बारे में जानें। साथ ही, आज के शुभ और अशुभ मुहूर्त की जानकारी भी प्राप्त करें। यह जानकारी आपको धार्मिक अनुष्ठानों और शुभ कार्यों के लिए मार्गदर्शन करेगी।
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05 अगस्त 2025 का पंचांग: पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत का महत्व

आज का पंचांग

05 अगस्त 2025 का पंचांग: इस दिन श्रावण पुत्रदा एकादशी और सावन माह का अंतिम मंगला गौरी व्रत मनाया जाएगा। ये दोनों पर्व विशेष महत्व रखते हैं, और इनका पालन करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, आज दोपहर 01:12 बजे तक श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है, इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू होगी।


नक्षत्र और योग

आज मंगलवार को सुबह 11:22 बजे तक ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा, इसके बाद रात तक मूल नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। दोपहर 01:12 बजे तक विष्टि करण रहेगा, और रात तक बव करण की स्थिति बन सकती है। योग की बात करें तो सुबह 07:24 बजे तक इन्द्र योग रहेगा, इसके बाद रात तक वैधृति योग का प्रभाव रहेगा।


विशेष जानकारी


  • समर्पित: हनुमान जी (मंगलवार)

  • शक सम्वत: 1947, विश्वावसु

  • विक्रम सम्वत: 2082, कालयुक्त

  • गुजराती सम्वत: 2081 नल

  • चंद्रमास: श्रावण (पूर्णिमान्त और अमांत)

  • व्रत-त्योहार: पुत्रदा एकादशी, मंगला गौरी व्रत (चतुर्थ) और दामोदर द्वादशी


सूर्योदय और चंद्रास्त

आज 05 अगस्त को सूर्योदय सुबह 05:45 बजे और सूर्यास्त शाम 07:09 बजे होगा। चंद्रोदय शाम 04:19 बजे के आसपास होगा, लेकिन मंगलवार को चंद्रास्त की संभावना नहीं है। 06 अगस्त को चंद्रास्त सुबह 02:33 बजे हो सकता है।


नवग्रहों की स्थिति

आज सावन माह के अंतिम मंगला गौरी व्रत पर सूर्य और बुध ग्रह कर्क राशि में रहेंगे। चंद्र देव सुबह 11:22 बजे तक वृश्चिक राशि में रहेंगे, उसके बाद धनु राशि में गोचर करेंगे। मंगल ग्रह मीन राशि में, राहु कुंभ राशि में और केतु सिंह राशि में रहने की संभावना है। गुरु और शुक्र ग्रह मिथुन राशि में रहेंगे।


शुभ और अशुभ मुहूर्त

आज का शुभ मुहूर्त


05 अगस्त 2025 का पंचांग: पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत का महत्व


आज का अशुभ मुहूर्त


05 अगस्त 2025 का पंचांग: पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत का महत्व