12 जून 2025 का पंचांग: जानें शुभ मुहूर्त और राहु काल

आज का पंचांग
12 जून 2025 का पंचांग: आज 12 जून, 2025 को आषाढ़ माह का पहला दिन है और यह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज का दिन 13 घंटे 56 मिनट 44 सेकंड लंबा होगा, जबकि रात का समय 10 घंटे 3 मिनट 18 सेकंड रहेगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रीष्म ऋतु का समय है और सूर्य उत्तरायण में गोचर कर रहे हैं।
आइए जानते हैं, 12 जून के पंचांग के पांच अंगों की स्थिति क्या है? आज का कौन-सा समय आपके लिए शुभ है और राहु काल का समय क्या है?
पंचांग के पांच अंग
पंचांग के अंग
तिथि
आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है, जो 12 जून को 02:27 PM तक रहेगी। इसके बाद द्वितीया तिथि शुरू होगी।
प्रतिपदा एक नंदा तिथि है, जिसके स्वामी अग्निदेव हैं और यह तिथि शुभ मुहूर्तों में मानी जाती है।
नक्षत्र
आज दिन की शुरुआत मूल नक्षत्र से होगी, जो 09:57 PM तक रहेगा। यह एक शुभ नक्षत्र है। इसके बाद पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का आरंभ होगा।
दिन/वार
आज गुरुवार है, जो भगवान विष्णु की उपासना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
योग
आज शुभ योग की शुरुआत 12 जून को 02:05 PM तक होगी। इसके बाद शुक्ल योग का आरंभ होगा।
करण
आज 02:27 PM तक कौलव करण रहेगा, इसके बाद तैतिल करण शुरू होगा, जो 13 जून को 02:56 AM तक रहेगा।
सूर्य-चंद्र गोचर
सूर्य और चंद्र की स्थिति
आज सूर्य वृषभ राशि में हैं, जबकि चंद्रमा धनु राशि में गोचर कर रहे हैं।
शुभ और अशुभ काल
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:02 AM से 04:42 AM
प्रातः सन्ध्या: 04:22 AM से 05:23 AM
अभिजित मुहूर्त: 11:53 AM से 12:49 PM
विजय मुहूर्त: 02:41 PM से 03:36 PM
गोधूलि मुहूर्त: 07:18 PM से 07:38 PM
सायाह्न सन्ध्या: 07:19 PM से 08:20 PM
अमृत काल: 03:04 PM से 04:48 PM
निशिता मुहूर्त: 12:01 AM, जून 13 से 12:41 AM, जून 13
अशुभ मुहूर्त
राहुकाल: आज राहु काल 12:21 PM से 02:05 PM तक रहेगा। इस समय कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
यमगण्ड: 05:23 AM से 07:07 AM
ज्वालामुखी योग: 05:23 AM से 02:27 PM
गुलिक काल: 08:52 AM से 10:36 AM
दुर्मुहूर्त काल: 10:02 AM से 10:57 AM और 03:36 PM से 04:32 PM
विष घटी/वर्ज्य काल: 08:14 PM से 09:57 PM
12 जून 2025 के पर्व और त्योहार
धार्मिक महत्व
आज आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है और यह दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन पूजा-अर्चना करके सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
गुरुवार का दिन नवग्रहों में देवगुरु बृहस्पति को भी समर्पित होता है। जिनकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करने की सलाह दी जाती है।
यात्रा टिप्स:आज दक्षिण दिशा में यात्रा करना शुभ नहीं है।
पंचांग का महत्व
पंचांग का महत्व
पंचांग केवल तिथियों और त्योहारों का कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह जीवन को सफलता की ओर मार्गदर्शन करने वाला एक महत्वपूर्ण साधन है।
पंचांग के पांच प्रमुख अंग
पंचांग के पांच मुख्य घटक होते हैं, जिनका ध्यान रखकर किए गए कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
वार:यह सप्ताह के दिनों का महत्व बताता है।
तिथि:चंद्र मास के अनुसार दिन की गणना का पता चलता है।
नक्षत्र:विशिष्ट नक्षत्रों की स्थिति और उनके प्रभाव बताता है।
योग:विशेष खगोलीय संयोगों का महत्व बताता है।
करण:आधे तिथि का सूचक होता है, जो कार्यों की शुभता को प्रभावित करता है।
पंचांग का अनुसरण करके हम अपने जीवन को अधिक सफल बना सकते हैं।