19 सितंबर को शुक्र प्रदोष व्रत और त्रयोदशी श्राद्ध का महत्व

19 सितंबर 2025 का विशेष संयोग
Shukra Pradosh Vrat 19 September: नई दिल्ली: 19 सितंबर 2025 को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर एक महत्वपूर्ण संयोग बन रहा है। इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, और त्रयोदशी श्राद्ध का दुर्लभ योग होगा। यह दिन भगवान शिव की कृपा, सुख-समृद्धि, और पितरों की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दृक पंचांग के अनुसार
दृक पंचांग के अनुसार, सूर्य कन्या राशि में स्थित रहेंगे, जबकि चंद्रमा सुबह 7:05 बजे तक कर्क राशि में रहेगा, इसके बाद वह सिंह राशि में प्रवेश करेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 तक रहेगा। आइए, इस दिन के महत्व और व्रत-श्राद्ध की पूरी जानकारी प्राप्त करें।
त्रयोदशी श्राद्ध का महत्व
त्रयोदशी श्राद्ध पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आयोजित किया जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी को हुई या जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है। विशेष रूप से अल्पायु पितरों और मृत बच्चों (दो वर्ष से अधिक आयु) का श्राद्ध किया जाता है।
इसमें तर्पण, पिंडदान, और ब्राह्मण भोज के साथ पितरों को अन्न-जल भेंट किया जाता है। गुजरात में इसे ‘काकबली’ या ‘बालभोलनी तेरस’ के नाम से जाना जाता है। श्राद्ध के लिए कुतुप मुहूर्त (11:30 से 12:42) और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। अपराह्न काल तक श्राद्ध और तर्पण पूरा करने से पितरों को शांति मिलती है।
शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि
19 सितंबर को शुक्र प्रदोष व्रत भी मनाया जाएगा, जो त्रयोदशी तिथि के दौरान प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में किया जाता है। यह व्रत सौंदर्य, सुख, धन, और वैवाहिक जीवन की शांति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। खासकर महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है, क्योंकि इससे लक्ष्मी का वास होता है।
भगवान शिव की पूजा से ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है। इसके अलावा, इस दिन मासिक शिवरात्रि का भी योग है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।