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2025 का चंद्र ग्रहण: जानें इसके महत्व और विशेषताएँ

2025 का चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन होगा, जो भारत में भी दिखाई देगा। इसकी कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट होगी और यह कुंभ राशि में लगेगा। इस ग्रहण का धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह पितृ पक्ष की शुरुआत से जुड़ा है। जानें इसके समय, सूतक काल की जानकारी और दान का महत्व। इस विशेष खगोलीय घटना के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में भी जानें।
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2025 का चंद्र ग्रहण: जानें इसके महत्व और विशेषताएँ

चंद्र ग्रहण 2025 की जानकारी

Chandra Grahan 2025: साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर, 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में भी देखा जा सकेगा, जिसकी कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट होगी। इस बार ग्रहण शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वभाद्रपद में होगा। ज्योतिष के अनुसार, यह दिन पितृ पक्ष की शुरुआत से भी जुड़ा है, इसलिए इस दिन धार्मिक अनुष्ठान और दान का विशेष महत्व है।


चंद्र ग्रहण 2025 का समय

चंद्र ग्रहण 2025 की टाइमिंग

भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 9:58 बजे प्रारंभ होगा और 8 सितंबर की मध्यरात्रि 1:26 बजे समाप्त होगा। पहला स्पर्श रात 8:59 बजे होगा और अंतिम स्पर्श रात 2:24 बजे होगा। ग्रहण का सबसे महत्वपूर्ण समय रात 11:42 बजे रहेगा।


सूतक काल की जानकारी

सूतक काल की जानकारी 

चंद्र ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय भोजन करना, सोना और पूजा-पाठ करना वर्जित है। हालांकि, इस समय भगवान के मंत्रों का जाप करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।


ग्रहण का दृश्यता क्षेत्र

ये ग्रहण कहां दिखेगा?

यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।


ग्रहण का महत्व

क्यों खास है ये चंद्र ग्रहण?

ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है। खास बात यह है कि ग्रहण के दिन से 15 दिन का पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) शुरू हो रहा है। इसलिए इस दिन पितृ पक्ष के अनुष्ठान और पिंडदान को ग्रहण शुरू होने से पहले पूरा करना चाहिए।


ब्लड मून की विशेषता

ब्लड मून क्या है?

ब्लड मून वह खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा ग्रहण के दौरान लाल दिखाई देता है। यह तब होता है जब पृथ्वी सूर्य की रोशनी को रोक देती है, लेकिन वायुमंडल में मौजूद कण लाल रंग की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचाते हैं।


सूतक काल में क्या करें और क्या न करें?

चंद्र ग्रहण और सूतक काल में क्या करें और क्या न करें? 

  • मंत्रों का जाप और रामचरितमानस का पाठ करें.

  • बचा हुआ भोजन तुलसी के पत्ते के साथ डालें.

  • भगवान शिव के मंत्रों का जाप लाभकारी रहेगा.

  • सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद रहेंगे, भोजन ना करें और मूर्ति का स्पर्श ना करें.

  • मोक्ष काल में दान करें.


ग्रहण का प्रभाव

चंद्र ग्रहण का भारत और विश्व पर प्रभाव 

इस ग्रहण का प्रभाव भारत की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर देखा जा सकता है। पहाड़ी राज्यों और बड़े राज्यों जैसे ओडिशा, महाराष्ट्र पर इसका असर रहेगा। विश्व स्तर पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखा जाएगा। ज्योतिषियों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी वैश्विक स्थितियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


दान का महत्व

दान और धार्मिक महत्व 

ग्रहण के दौरान दूध, अन्न, फल और सफेद चीजों का दान करें। ग्रहण के अगले दिन मंदिर जाकर पंडितों को दक्षिणा दें। पितृ पक्ष की शुरुआत के कारण अपने पितरों का स्मरण करके गरीबों को दान करना शुभ रहेगा.