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2025 में अमावस्या तिथियों का महत्व और पूजा विधि

इस लेख में हम 2025 में पड़ने वाली अमावस्या तिथियों और उनके महत्व के बारे में जानेंगे। अमावस्या का दिन ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है, खासकर भगवान शिव और शनिदेव की पूजा के संदर्भ में। जानें किस दिन किस देवता की पूजा करनी चाहिए और अमावस्या के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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2025 में अमावस्या तिथियों का महत्व और पूजा विधि

अमावस्या का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में 12 अमावस्याएं होती हैं, अर्थात हर महीने एक अमावस्या आती है। सामान्यतः अमावस्या को शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस दिन किसी भी शुभ कार्य से बचने की सलाह दी जाती है। फिर भी, ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या का एक विशेष स्थान है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस तिथि पर राहु का प्रभाव सबसे अधिक होता है.


भगवान शिव और शनिदेव की पूजा

अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन राहु पर शनिदेव का भी प्रभाव होता है, इसलिए शनिदेव की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस लेख में हम जुलाई से दिसंबर 2025 तक की अमावस्या तिथियों और उनके महत्व के बारे में चर्चा करेंगे.


2025 की अमावस्या तिथियाँ

ज्येष्ठ अमावस्या - 27 मई 2025


आषाढ़ अमावस्या - 25 जून 2025


श्रावण अमावस्या - 24 जुलाई 2025


भाद्रपद अमावस्या - 23 अगस्त 2025


आश्विन अमावस्या - 21 सितंबर 2025


कार्तिक अमावस्या - 21 अक्तूबर 2025


मार्गशीर्ष अमावस्या - 20 नवंबर 2025


पौष अमावस्या - 19 दिसंबर 2025


मई से अगस्त तक की अमावस्या तिथियों का महत्व

ज्येष्ठ महीने को हनुमान जी का महीना माना जाता है, लेकिन इस दिन हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती क्योंकि इस दिन उन्होंने राहु से युद्ध विराम के समय विश्राम किया था। आषाढ़ महीने में किसी भी देवी-देवता की पूजा करना शुभ होता है। श्रावण महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। भाद्रपद की अमावस्या पर श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है.


आश्विन से पौष तक की अमावस्या का महत्व

आश्विन माह भगवान श्रीहरि विष्णु और सूर्य देव को समर्पित होता है, इसलिए इस महीने उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। कार्तिक अमावस्या पर दीपावली का पर्व मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। मार्गशीर्ष की अमावस्या पर शनिदेव की पूजा करना शुभ और सिद्धि देने वाला माना जाता है। पौष माह की अमावस्या पर पितरों के निमित्त पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है.