6 जून 2025 का पंचांग: जानें शुभ मुहूर्त और राहु काल

आज का पंचांग
6 जून 2025 का पंचांग: आज ज्येष्ठ माह का छब्बीसवां दिन है और यह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। दिन की लंबाई 13 घंटे 54 मिनट 06 सेकंड है, जबकि रात का समय 10 घंटे 5 मिनट 48 सेकंड होगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रीष्म ऋतु का समय है और सूर्य उत्तरायण में गोचर कर रहे हैं।
आइए, जानते हैं कि 6 जून के पंचांग के पांच अंगों की स्थिति क्या है? आज का कौन-सा समय आपके लिए शुभ है और राहु काल का समय क्या है?
तिथि
आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है, जो 7 जून की 04:47 AM तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि का आरंभ होगा।
एकादशी तिथि आनंदप्रद है और इसका स्वामी विश्वेदेव है। इसे शुभ मुहूर्तों में माना जाता है।
नक्षत्र
आज की शुरुआत हस्त नक्षत्र से होगी, जो 06:34 AM तक रहेगा। इसके बाद चित्रा नक्षत्र का आरंभ होगा, जो पूरे दिन रहेगा।
दिन/वार
दिन/वार: आज शुक्रवार है, जो देवी लक्ष्मी, दुर्गा, पार्वती और शुक्राचार्य को समर्पित है। यह दिन धन संबंधी उपायों के लिए शुभ माना जाता है।
योग
आज का दिन व्यतिपात योग से शुरू होगा, जो 10:13 AM तक रहेगा। इसके बाद वरियान योग का आरंभ होगा।
आज रवि योग भी बन रहा है, जिससे दिन विशेष बन गया है।
करण
आज 03:31 PM तक वणिज करण रहेगा, इसके बाद विष्टि करण का आरंभ होगा, जो 7 जून की 04:47 AM तक रहेगा।
सूर्य-चंद्र गोचर
आज सूर्य वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं, जबकि चंद्रमा कन्या राशि में हैं और 08:06 PM तक वहीं रहेंगे।
शुभ-अशुभ काल
आज के शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: 04:02 AM से 04:42 AM
प्रातः सन्ध्या: 04:22 AM से 05:23 AM
अभिजित मुहूर्त: 11:52 AM से 12:48 PM
विजय मुहूर्त: 02:39 PM से 03:35 PM
गोधूलि मुहूर्त: 07:16 PM से 07:36 PM
सायाह्न सन्ध्या: 07:17 PM से 08:18 PM
आज के अशुभ मुहूर्त:
राहुकाल: 10:36 AM से 12:20 PM तक। इस समय कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
यमगण्ड: 03:48 PM से 05:33 PM
गुलिक काल: 07:07 AM से 08:51 AM
विष घटी/वर्ज्य काल: 03:36 PM से 05:24 PM
दुर्मुहूर्त काल: 08:10 AM से 09:05 AM और 12:48 PM से 01:43 PM
भद्रा काल: 03:31 PM से 04:47 AM, 7 जून तक।
5 जून 2025 के पर्व और त्योहार
आज एकादशी तिथि है और दिन गुरुवार है, जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
निर्जला एकादशी, जो सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
यात्रा टिप्स: आज दक्षिण दिशा में यात्रा करना शुभ नहीं है।
पंचांग का महत्व
पंचांग केवल तिथियों और त्योहारों का कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह जीवन को सफलता की ओर मार्गदर्शन करने वाला एक महत्वपूर्ण साधन है।
पंचांग के पांच प्रमुख अंग:
वार: सप्ताह के दिनों का महत्व बताता है।
तिथि: चंद्र मास के अनुसार दिन की गणना।
नक्षत्र: विशिष्ट नक्षत्रों की स्थिति।
योग: खगोलीय संयोगों का महत्व।
करण: आधे तिथि का सूचक।
शुभ कार्यों में पंचांग का महत्व: हिंदू संस्कृति में शुभ कार्य पंचांग के अनुसार किए जाते हैं।
पंचांग की जीवन में भूमिका: यह व्यक्ति की निर्णय क्षमता को सुदृढ़ करता है।