AI तकनीक से दंपति को मिली संतान सुख की नई उम्मीद

AI Infertility Treatment:
न्यूयॉर्क में एक दंपति ने 20 वर्षों के बाद वह खुशी पाई है, जिसका वे लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। कई प्रयासों और 15 बार IVF असफल होने के बाद, उन्हें एक नई तकनीक के माध्यम से संतान सुख मिलने वाला है, जिसे विज्ञान में 'चमत्कार' माना जा रहा है। यह चमत्कार AI आधारित फर्टिलिटी टूल STAR की मदद से संभव हुआ है, जिसने न केवल चिकित्सा क्षेत्र को चौंका दिया है, बल्कि उन लाखों निःसंतान दंपतियों को भी नई आशा दी है, जो वर्षों से उपचार में असफल हो रहे थे।
क्या है ये खास तकनीक?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित STAR (Sperm Track and Recovery) नामक यह तकनीक एक AI-संचालित प्रणाली है, जो उन सीमेन सैंपल में जीवित शुक्राणु खोज निकालती है, जिनमें सामान्यतः कोई स्पर्म नहीं दिखाई देता। जबकि पारंपरिक तकनीशियन दो दिनों में कोई स्पर्म नहीं खोज पाए, STAR ने केवल एक घंटे में 44 जीवित शुक्राणु खोज निकाले। इसके बाद मार्च 2025 में सफलतापूर्वक IVF किया गया, और अब यह दंपति पहली बार माता-पिता बनने जा रहा है।
क्या था पुरुष की समस्या?
इस मामले में पति को azoospermia नामक स्थिति का सामना करना पड़ा, जिसमें सीमेन में कोई शुक्राणु नहीं होता। Azoospermia दो प्रकार की होती है: Obstructive (जब स्पर्म बनता है लेकिन बाहर नहीं आ पाता) और Non-obstructive (जब शरीर में स्पर्म बनता ही नहीं)। इसके पीछे जेनेटिक रोग, कैंसर का इलाज, हार्मोन असंतुलन, नशा या शारीरिक संरचना में गड़बड़ी जैसे कारण हो सकते हैं।
क्या होती है STAR तकनीक?
STAR तकनीक की विशेषता यह है कि इसमें एक माइक्रोफ्लुइडिक चिप सीमेन के तत्वों को अलग करती है, और फिर हाई-स्पीड इमेजिंग सिस्टम लाखों सूक्ष्म फ्रेम रिकॉर्ड करता है। इसके बाद मशीन लर्निंग एल्गोरिदम इन फ्रेम्स का विश्लेषण करता है और उन शुक्राणुओं को पहचानता है जो सामान्य आंखों से नहीं दिखते। इस प्रक्रिया को डॉक्टर 'भूसे के ढेर में सुई तलाशना' कहते हैं, जिसे STAR कुछ ही घंटों में पूरा कर देता है।
यह तकनीक केवल जीवित शुक्राणु पहचानने तक सीमित
वर्तमान में, यह तकनीक केवल जीवित शुक्राणु पहचानने तक सीमित है, लेकिन भविष्य में यह AI उन्नत एग और एम्ब्रायो की पहचान, IVF की सफलता की संभावना का पूर्वानुमान लगाने, इलाज की व्यक्तिगत योजना बनाने और प्रजनन ऊतकों में सूक्ष्म दोषों की पहचान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस चमत्कारिक सफलता के बाद, दुनियाभर के फर्टिलिटी सेंटर्स इस तकनीक को अपनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे लाखों निःसंतान दंपतियों को नई आशा मिल सकती है।