Devshayani Ekadashi 2025: पूजा विधि और चातुर्मास का महत्व

Devshayani Ekadashi का महत्व
देवशयनी एकादशी, जिसे हरि शयनी एकादशी या आषाढ़ शुक्ल एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन भगवान विष्णु की भक्ति और चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है, जब भगवान क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।
2025 में देवशयनी एकादशी की तिथि
इस वर्ष, देवशयनी एकादशी 6 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत का पारण सुबह 5:29 से 8:16 बजे तक किया जाएगा, और द्वादशी तिथि रात 11:10 बजे समाप्त होगी। पूजा की शुरुआत प्रातः स्नान के साथ करें और व्रत का संकल्प लें।
पूजा विधि
घर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं। पीले फूल, तुलसी के पत्ते, पंचामृत, और फल अर्पित करें। भक्ति भाव से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र या विष्णु सहस्रनाम का जाप करें। दिनभर फलाहार करें और रात में भजन-कीर्तन के साथ जागरण करें। अगले दिन, द्वादशी को, ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर व्रत पूरा करें।
आध्यात्मिक महत्व
इस पर्व का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों को वैकुण्ठधाम की प्राप्ति होती है और उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। चातुर्मास की शुरुआत के साथ यह समय भक्ति, ध्यान, और आत्मचिंतन का होता है।
संयमित जीवनशैली
इस अवधि में भक्त अपनी जीवनशैली को संयमित करते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं। 6 जुलाई 2025 को इस पवित्र व्रत को मनाकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें।