Swapna Shastra: सपनों में पूर्वजों का आना और इसका आध्यात्मिक अर्थ

सपनों की श्रेणियाँ
Swapna Shastra: सपने अक्सर रहस्यमय होते हैं और कभी-कभी ये हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। विशेषकर जब हमें हमारे दिवंगत पूर्वज या कोई मृत व्यक्ति सपने में दिखाई दे, तो यह और भी चिंता का विषय बन जाता है। इस विषय पर वृंदावन-मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही तर्कपूर्ण और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला है। आइए जानते हैं कि सपने में पूर्वज या मृत व्यक्ति क्यों दिखते हैं, सपने कितने प्रकार के होते हैं और यदि ऐसे सपने दिखे तो क्या करना चाहिए?
तीन प्रकार के होते हैं सपने?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, सपनों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- मानसिक सपने: ये हमारे मन के चिंतन, विचार या दिनभर की घटनाओं का परिणाम होते हैं।
- काल्पनिक या निरर्थक सपने: इनका कोई गहरा अर्थ नहीं होता, ये केवल मस्तिष्क की हलचल हैं।
- आध्यात्मिक सपने: इनमें किसी महापुरुष, संत या भगवान का दर्शन होता है। ये सपने विशेष संकेत या मार्गदर्शन देते हैं।
ऐसे सपनों का अर्थ
क्या संकेत देते हैं ऐसे सपने?
जब किसी व्यक्ति को उसके मृत संबंधी कष्ट में दिखाई देते हैं, तो यह महज एक डरावना दृश्य नहीं होता। इसका गहरा तात्पर्य होता है कि संभवत: जीवनकाल में उनके प्रति कुछ कर्तव्य अधूरे रह गए हैं। यह सपना आत्मा से एक संकेत या संदेश हो सकता है कि उनका स्मरण, सेवा या तर्पण अभी बाकी है।
पूर्वजों के सपनों में क्या करें?
क्या करें जब पूर्वज सपने में आएं?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जब मृत पूर्वज सपने में आएं तो नाम-जप और प्रार्थना करें, उनके नाम से भगवान का जाप करें। ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं, वस्त्र दान करें या किसी साधु-संत की सेवा करें। इसके साथ ही, धार्मिक अनुष्ठान करें, जैसे श्रीमद्भागवत कथा, हवन या कीर्तन आदि आयोजित करें।
जिन पूर्वजों यदि श्राद्ध कर्म न हुआ हो तो पितृपक्ष या अन्य अवसरों पर उनका तर्पण करें, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि इन कार्यों से आपको पुण्य मिलेगा और आपके पूर्वजों को भी इसका आध्यात्मिक लाभ पहुंचेगा, चाहे वे किसी भी योनि में हों।
सपनों पर संतों की दृष्टि
सपनों को लेकर संतों की राय
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि सपनों को लेकर अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए। ये आत्मिक संदेश भी होते हैं। यदि सपना किसी संत, महापुरुष या भगवान का हो, तो उसे अवश्य महत्व देना चाहिए। लेकिन अन्य सभी सपनों को अधिक महत्व देना मन की व्यर्थ उलझन ही मानी जाती है।