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अधर पना रस्म: जगन्नाथ रथयात्रा का अनोखा पर्व

जगन्नाथ रथयात्रा 2025 का पावन पर्व ओडिशा के पुरी में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस उत्सव में अदर पना की रस्म का विशेष महत्व है, जो अदृश्य भक्तों के लिए होती है। जानें इस रस्म के पीछे की मान्यता और इसके महत्व के बारे में। आज शाम 5 बजे से इस रस्म का आयोजन होगा, जिसमें शरबत का भोग अर्पित किया जाएगा।
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अधर पना रस्म: जगन्नाथ रथयात्रा का अनोखा पर्व

रथयात्रा 2025: एक पावन उत्सव

रथयात्रा 2025: हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व जगन्नाथ रथयात्रा ओडिशा के पुरी में धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव महाप्रभु जगन्नाथ से जुड़ा हुआ है, जिन्हें कलियुग का देवता माना जाता है। इस रथयात्रा को विश्व की सबसे बड़ी यात्रा माना जाता है, जिसमें लाखों भक्त एकत्र होकर प्रभु के दर्शन करते हैं। 27 जून को रथयात्रा का आयोजन हुआ, इसके बाद 5 जुलाई को बाहुड़ा यात्रा संपन्न हुई। कल, यानी 6 जुलाई को सुनाबेष की रस्म भी पूरी की गई। अब इस पावन उत्सव का समापन होने वाला है। आज पुरी में अधर पना की रस्म का आयोजन होगा, जो इंसानों और भगवान के बीच नहीं, बल्कि अदृश्य भक्तों के लिए मनाई जाती है। आइए जानते हैं इस रस्म के बारे में।


अधर पना की रस्म का महत्व

अधर पना की रस्म क्या है?


अधर पना रथयात्रा के दौरान मनाई जाने वाली एक विशेष रस्म है, जो रथयात्रा के 10वें दिन होती है। इस रस्म में एक खास पेय पदार्थ, जिसे शरबत कहा जाता है, का भोग लगाया जाता है। इसके बाद इस शरबत को अदृश्य भक्तों जैसे भूत-प्रेत, रंक, गण, भटकती आत्माओं और जानवरों को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि रथयात्रा के समय सभी जीवित और मृत प्राणियों को इस उत्सव में भाग लेने का अवसर मिलता है। रथयात्रा में महाप्रभु के दर्शन के लिए देवता, असुर, भूत-प्रेत, आत्मा और जानवर भी आते हैं। देवताओं को महाप्रभु के भोग के साथ भोग अर्पित किया जाता है, जबकि अदृश्य भक्तों को अधर पना में बनाया जाने वाला शरबत समर्पित किया जाता है।


अधर पना का निर्माण

क्या है अधर पना?


अधर पना एक विशेष शरबत है, जिसे बनाने के लिए दूध, छेना, मिठाई, गुड़, फल और मसाले जैसे काली मिर्च और इलायची का उपयोग किया जाता है। इन सामग्रियों को मिलाकर तीनों रथों पर बड़ी मटकियों में रखा जाता है। मटकियों का आकार प्रभु की मूर्तियों के होठों तक होना चाहिए, ताकि भोग चढ़ाने पर वे उसे ग्रहण कर सकें। इसके बाद, मटकियों को तोड़कर रस्म का समापन किया जाता है, ताकि अदृश्य भक्त उसका सेवन कर सकें।


अधर पना का महत्व

क्या है इसका महत्व?


कथाओं के अनुसार, इस भोग का सेवन किसी भी जीवित इंसान द्वारा नहीं किया जाता है। यह केवल भूत-प्रेत, राक्षस गण, आत्मा, पितृों और जानवरों के लिए होता है। रथयात्रा में यह भगवान के द्वारा उनके इन भक्तों के लिए आशीर्वाद का प्रतीक है, ताकि वे मुक्ति प्राप्त कर सकें।


आज का आयोजन

आज मनाई जाएगी


पुरी में आज अधर पना की रस्म का आयोजन होगा। इस रस्म के लिए शरबत का निर्माण शाम 5 बजे से किया जाएगा। इसके कुछ समय बाद मटकियों को तोड़कर रस्म का समापन होगा। कल निलाद्री बिजे पर्व मनाया जाएगा, जिसमें मां लक्ष्मी को रसगुल्ले का भोग अर्पित किया जाएगा। ओडिशा में कल का दिन रसगुल्ला दिवस के रूप में मनाया जाएगा।