अनंत चतुर्दशी 2025: बैकुंठ धाम में स्थान पाने के लिए विशेष उपाय

अनंत चतुर्दशी 2025 का महत्व
अनंत चतुर्दशी 2025: सनातन धर्म में भगवान श्रीहरि विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है, जो सभी जीवों के रक्षक और पोषक हैं। मां लक्ष्मी, जो धन की देवी हैं, श्रीहरि विष्णु की अर्धांगिनी मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विष्णु जी और लक्ष्मी जी बैकुंठ धाम में निवास करते हैं, जो भगवान विष्णु का पहला निवास स्थान है। बैकुंठ एक दिव्य स्थान है, जहां जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त आत्माएं अनंत काल तक भगवान विष्णु की सेवा करती हैं। हालांकि, बैकुंठ धाम में स्थान पाने के लिए भक्त होना आवश्यक है, क्योंकि नास्तिक और बुरे कर्म करने वाले व्यक्तियों को यहां स्थान नहीं मिलता।
बैकुंठ धाम में स्थान पाने का उपाय
अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन प्रात: काल अपने घर के मंदिर में एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। एक लाल रंग का सूत्र लें और उसमें 14 गांठें बांधें। इस सूत्र को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें। उन्हें पीले कपड़े, फल, फूल, पीले अक्षत और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और घी का दीपक जलाएं। पूजा के अंत में आरती करें और सूत्र (अनंत सूत्र) को अपने दाहिने हाथ पर बांध लें। अगले दिन इस सूत्र को बहते पानी या किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें, इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को भी शुद्ध रखें।
अनंत चतुर्दशी की पूजा का शुभ मुहूर्त
विष्णु जी द्वारा रचित 14 लोक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना की थी, जिनमें अतल, भूलोक, भुवलोक, वितल, सतल, स्वलोक, महलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, रसातल, तलातल, जनलोक, महातल और पताल लोक शामिल हैं। इन लोकों के संरक्षण के लिए भगवान विष्णु 14 रूपों में प्रकट हुए थे। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है और अनंत सूत्र की 14 गांठों में इन लोकों के प्रतीक के रूप में गांठ बांधी जाती है।