Newzfatafatlogo

अनंत चतुर्दशी 2025: महत्व और पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी 2025 का पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है। जानें इस पर्व का महत्व, 14 गांठों का रहस्य और पूजा विधि। यह पर्व जीवन में सुख और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है।
 | 
अनंत चतुर्दशी 2025: महत्व और पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी का पर्व

अनंत चतुर्दशी 2025, सिटी रिपोर्टर | नई दिल्ली : भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन न केवल गणेश जी का विसर्जन होता है, बल्कि भगवान विष्णु की विशेष पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, साथ ही सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।


अनंत सूत्र का महत्व

इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है अनंत सूत्र, जो 14 गांठों वाला पवित्र धागा होता है, जिसे कलाई पर बांधा जाता है। लेकिन यह 14 गांठों वाला धागा इतना खास क्यों है? आइए, इसके पीछे की कहानी और महत्व को समझते हैं।


14 गांठों का रहस्य

अनंत चतुर्दशी पर बांधा जाने वाला अनंत सूत्र 14 गांठों वाला होता है, जो कई गहरे अर्थों को समेटे हुए है। सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार, ये 14 गांठें भगवान विष्णु के 14 अलग-अलग नामों और रूपों का प्रतीक हैं, जो उनकी अनंत शक्ति को दर्शाती हैं। इसके अलावा, कुछ लोग मानते हैं कि ये गांठें हिंदू धर्म में बताए गए 14 लोकों (भुवनों) का प्रतीक हैं।


ये लोक हैं: अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल, भूलोक, भुवर्लोक, स्वार्लोक, महर्लोक, जनर्लोक, तपोलोक और सत्यलोक। एक अन्य मान्यता यह भी है कि ये 14 गांठें भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद उनकी वापसी का प्रतीक हैं। यह धागा जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना के लिए बांधा जाता है, जो भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक माना जाता है।


अनंत सूत्र की पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की अनंत रूप में पूजा की जाती है। सबसे पहले एक चौकी पर कलश स्थापित किया जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखी जाती है। उनके सामने 14 गांठों वाला अनंत सूत्र रखा जाता है, जिसे कच्चे सूत या रेशम से बनाया जाता है।


इस धागे पर हल्दी और कुमकुम लगाया जाता है। पूजा के दौरान ‘ॐ अनंताय नमः’ मंत्र का जाप किया जाता है। पूजा पूरी होने के बाद परिवार के मुखिया या अन्य सदस्य इस धागे को अपनी कलाई पर बांधते हैं। यह धागा पूरे साल कलाई पर रहता है और माना जाता है कि यह भगवान विष्णु की अनंत कृपा और सुरक्षा प्रदान करता है।