अनिल विज और अनिरुद्धाचार्य के बीच विवाद: कथावाचक और संत में अंतर

अनिल विज का बयान
हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि "चार किताबें पढ़कर कोई भी कथावाचक बन सकता है, लेकिन संत बनने के लिए आध्यात्मिक और नैतिक ऊंचाई की आवश्यकता होती है।"
लोगों को संतों की बातों पर ध्यान देने की सलाह
विज ने यह भी कहा कि लोगों को कथावाचकों की बातों पर ध्यान देने के बजाय संतों की वाणी पर अमल करना चाहिए। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
अनिरुद्धाचार्य का स्पष्टीकरण
वृंदावन के भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी वीडियो को अधूरी सुना गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी सभी लड़कियों के लिए नहीं थी, बल्कि कुछ विशेष उदाहरणों के संदर्भ में थी।
एक घटना का जिक्र
उन्होंने एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि एक लड़की ने अपने पति को पराए पुरुष के कारण मार डाला। अनिरुद्धाचार्य ने यह भी कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया है।
क्षमा मांगने का आश्वासन
अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि यदि उनकी बात से किसी बहन या बेटी को ठेस पहुंची हो, तो वे क्षमा मांगते हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि वीडियो को AI द्वारा संपादित किया गया हो सकता है।
संत और कथावाचक में अंतर
इस विवाद के बाद एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि संत और कथावाचक में क्या अंतर है। मंत्री विज के बयान ने इस बहस को और गहरा कर दिया है। अनिरुद्धाचार्य जैसे कथावाचक धार्मिक प्रवचन देते हैं, जबकि संतों को समाज में एक उच्च आध्यात्मिक दर्जा प्राप्त होता है।
धार्मिक प्रवचनकर्ताओं की भूमिका
इस विवाद ने धार्मिक प्रवचनकर्ताओं की भूमिका और जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।