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अयोध्या में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा: 5 जून 2025 का महत्व

अयोध्या में 5 जून 2025 को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा। यह तिथि गंगा दशहरा के साथ जुड़ी हुई है, जो देवी गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जानें इस विशेष दिन का महत्व और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया के बारे में।
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अयोध्या में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा: 5 जून 2025 का महत्व

अयोध्या में राम दरबार की स्थापना

अयोध्या, राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इसके बाद अब राम दरबार की स्थापना की तैयारियाँ तेज़ी से चल रही हैं। 5 जून 2025 को प्रभु श्रीराम अपने परिवार के साथ मंदिर के पहले तल पर स्थित राम दरबार में विराजेंगे। इस दिन 8 अन्य प्रतिमाओं (शिव जी, गणेश जी, हनुमान जी, सूर्य जी, भगवती जी, अन्नपूर्णा जी और शेषावतार जी) की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 5 जून 2025 की तारीख क्यों चुनी गई है? आइए, इसके बारे में जानते हैं।


5 जून 2025 का महत्व

वैदिक पंचांग के अनुसार, 5 जून 2025 को ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है, जिस दिन गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाएगा। पुरानी कथाओं के अनुसार, इसी दिन देवी गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इसके अलावा, इसी तिथि से द्वापर युग की शुरुआत भी हुई थी, जिसमें भगवान विष्णु ने कृष्ण जी के रूप में अवतार लिया। यह दिन पूजा-पाठ और गंगा स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा इसी दिन की जा रही है।


प्राण प्रतिष्ठा का अभिजीत मुहूर्त

5 जून 2025 को सुबह 11:25 से 11:40 बजे के बीच अभिजीत मुहूर्त में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसके पहले लगभग 2:30 घंटे तक पूजन अनुष्ठान किया जाएगा।


राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का शेड्यूल


  • 2 जून- प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान सरयू आरती स्थल से कलश यात्रा के साथ प्रारंभ होगा। राम दरबार की मूर्ति पहले तल पर स्थापित की जाएगी।

  • 3 जून- यज्ञ मंडप की पूजा की जाएगी।

  • 4 जून- विभिन्न अधिवास और पालकी यात्रा निकाली जाएंगी।

  • 5 जून- राम मंदिर के पहले तल पर राम दरबार के साथ-साथ सरयू तट पर सहस्त्र धारा में स्थित शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण एवं परकोटा के बाहर सप्त मंदिरों में 7 देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी।


प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है?

प्राण प्रतिष्ठा एक हिंदू अनुष्ठान है, जिसमें देवी-देवताओं की मूर्ति को स्थापित करने से पहले विशेष विधि से पूजा की जाती है। इस अनुष्ठान के दौरान प्रतिमा में देवी-देवता का आवाहन कर उसे जीवंत किया जाता है, जिससे मूर्ति में अद्भुत शक्ति सक्रिय होती है।