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अहोई अष्टमी 2025: पूजा का सही समय और पंचांग की जानकारी

आज, 13 अक्टूबर 2025 को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन की पूजा के लिए सही समय और पंचांग की जानकारी महत्वपूर्ण है। जानें सूर्योदय, चंद्रोदय, और शुभ मुहूर्त के बारे में। इसके साथ ही, अशुभ समय की भी जानकारी प्राप्त करें ताकि आप अपनी पूजा को सही तरीके से कर सकें। इस लेख में अहोई अष्टमी से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी दी गई है।
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अहोई अष्टमी 2025: पूजा का सही समय और पंचांग की जानकारी

अहोई अष्टमी का पर्व

अहोई अष्टमी आज, 13 अक्टूबर 2025: आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि दोपहर 12:24 बजे तक रहेगी, जिसके बाद अष्टमी का आरंभ होगा। इस दिन अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है, जो तारों को अर्घ्य देने से संबंधित है। इसलिए, व्रत आज ही रखा जाएगा।


पंचांग और शुभ मुहूर्त

यदि आप इस पर्व की पूजा के लिए सही समय और शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं, तो आज का पंचांग आपके लिए महत्वपूर्ण है। चंद्रोदय और तारों के उदय का समय भी पूजा के लिए आवश्यक है। शुभ समय पर पूजा करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। आइए, जानते हैं आज का पंचांग, शुभ और अशुभ समय के बारे में।


सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्य और चंद्रमा का समय


आज सूर्योदय सुबह 6:21 बजे और सूर्यास्त शाम 5:53 बजे होगा। चंद्रोदय रात 11:20 बजे होगा, जबकि चंद्रास्त दोपहर 1:04 बजे होगा। अहोई अष्टमी की पूजा तारों के उदय के समय की जाती है, इसलिए चंद्रोदय का समय ध्यान में रखें।


तिथि और पक्ष

तिथि और पक्ष


आज कृष्ण सप्तमी दोपहर 12:24 बजे तक रहेगी, इसके बाद कृष्ण अष्टमी का आरंभ होगा। यह कृष्ण पक्ष का दिन है। चंद्र मास के अनुसार, कार्तिक (पूर्णिमांत) और आश्विन (अमांत) है। प्रविष्टे/गते 27 है।


नक्षत्र और राशि

नक्षत्र और राशि


नक्षत्र की बात करें तो आर्द्रा दोपहर 12:26 बजे तक रहेगा, फिर पुनर्वसु का आरंभ होगा। आर्द्रा का तृतीय पड़ सुबह 6:41 तक और चतुर्थ पड़ दोपहर 12:26 तक रहेगा।


पुनर्वसु का प्रथम पड़ शाम 6:15 तक, द्वितीय पड़ रात 12:05 (14 अक्टूबर) तक, तृतीय पड़ सुबह 5:58 (14 अक्टूबर) तक और चतुर्थ पड़ रहेगा। चंद्र राशि मिथुन सुबह 5:58 (14 अक्टूबर) तक, फिर कर्क होगी। सूर्य राशि कन्या में और सूर्य नक्षत्र चित्रा में है, जिसका प्रथम पड़ सुबह 5:12 (14 अक्टूबर) तक और द्वितीय पड़ रहेगा।


योग और करण

योग और करण


योग में परिघ सुबह 8:10 तक, फिर शिव और बाद में सिद्ध योग रहेगा। करण में बव दोपहर 12:24 तक, फिर बालव रात 11:41 तक और इसके बाद कौलव रहेगा।


संवत्सर

संवत्सर


आज विक्रम संवत 2082 (कालयुक्त), शक संवत 1947 (विश्वावसु) और गुजराती संवत 2081 (नल) है। बृहस्पति संवत्सर कालयुक्त दोपहर 3:07 (25 अप्रैल 2025 तक) तक, फिर सिद्धार्थी होगा।


ऋतु और अयन

ऋतु और अयन


द्रिक और वैदिक ऋतु शरद है। द्रिक और वैदिक अयन दक्षिणायन है। दिनमान 11 घंटे 32 मिनट 51 सेकंड और रात्रिमान 12 घंटे 27 मिनट 43 सेकंड है।


अहोई अष्टमी का शुभ समय

अहोई अष्टमी का शुभ समय


अहोई अष्टमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं: ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:41 से 5:31, प्रातः संध्या सुबह 5:06 से 6:21, अभिजित मुहूर्त सुबह 11:44 से दोपहर 12:30, विजय मुहूर्त दोपहर 2:03 से 2:49, गोधूलि मुहूर्त शाम 5:53 से 6:18, सायाह्न संध्या शाम 5:53 से रात 7:08, और निशिता मुहूर्त रात 11:42 से 12:32 (14 अक्टूबर)। रवि योग सुबह 6:21 से दोपहर 12:26 तक रहेगा।


अहोई अष्टमी का अशुभ समय

अहोई अष्टमी का अशुभ समय


राहुकाल सुबह 7:47 से 9:14, यमगण्ड सुबह 10:40 से दोपहर 12:07, आडल योग सुबह 6:21 से दोपहर 12:26, दुर्मुहूर्त दोपहर 12:30 से 1:16 और फिर 2:49 से 3:35, गुलिक काल दोपहर 1:34 से 3:00, वर्ज्य रात 12:10 से 1:44 (14 अक्टूबर), और बाण रोग (दोपहर 1:02 से पूरी रात)।


अन्य विवरण

अन्य विवरण


आनंदादि योग में कालदण्ड (दोपहर 12:26 तक, अशुभ), फिर धूम्र (अशुभ)। तमिल योग मरण (दोपहर 12:26 तक), फिर मरण। जीवनम अर्ध जीवन, नेत्रम दो नेत्र (दोपहर 12:26 तक), फिर एक नेत्र। होमाहुति गुरु, दिशा शूल पूर्व, अग्निवास आकाश (दोपहर 12:24 तक), फिर पाताल। शिववास श्मशान में (दोपहर 12:24 तक), फिर गौरी के साथ। चंद्र वास पश्चिम (सुबह 5:58, 14 अक्टूबर तक), फिर उत्तर। राहु वास उत्तर-पश्चिम, और कुंभ चक्र गर्भ।