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आज का कालचक्र: चांडाल और वैधव्य योग के प्रभाव और उपाय

इस लेख में 18 सितंबर 2025 के कालचक्र के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें चांडाल और वैधव्य योग के प्रभाव और उनसे बचने के उपाय बताए गए हैं। पंडित सुरेश पांडेय के अनुसार, ये योग व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। जानें कैसे इनसे बचा जा सकता है और क्या उपाय किए जा सकते हैं।
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कालचक्र 18 सितंबर 2025

Kaalchakra Today 18 September 2025: शास्त्रों में नौ ग्रहों का उल्लेख किया गया है। जब भी किसी ग्रह की स्थिति में परिवर्तन होता है, तब शुभ और अशुभ योग का निर्माण होता है। शुभ योग व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं, जबकि अशुभ योग जीवन में नकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। अक्सर लोग विभिन्न समस्याओं में उलझे रहते हैं। चांडाल, वैधव्य, दारिद्रय, षड्यंत्र, विष, ग्रहण, अल्पायु और अंगारक जैसे योग किसी भी व्यक्ति के लिए शुभ नहीं माने जाते हैं। हालांकि, कुछ उपायों के माध्यम से इन अशुभ योगों से बचा जा सकता है।


आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको बताएंगे कि किन ग्रहों के संयोग से चांडाल, वैधव्य, दारिद्रय, षड्यंत्र, विष, ग्रहण, अल्पायु और अंगारक योग बनते हैं। साथ ही, इनसे बचने के उपाय भी साझा किए जाएंगे।


चांडाल योग

कुंडली में राहु और गुरु के एक साथ आने से चांडाल योग बनता है, जिससे मानसिक असंतुलन, अधिक क्रोध और गलत निर्णय लेने की स्थिति उत्पन्न होती है।


प्रभाव:



  • शिक्षा और करियर में बाधाएं आती हैं।

  • एकाग्रता में कमी आती है।

  • व्यक्ति भ्रमित रहता है।

  • हर कार्य में असफलता का सामना करना पड़ता है।

  • कर्ज में वृद्धि होती है।

  • धर्म-कर्म से दूर रहने की प्रवृत्ति होती है।

  • सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है।

  • मन भटकता है।


उपाय:



  • नियमित रूप से 'ऊँ रां राहवे नम:' मंत्र का जाप करें।

  • शनिवार को काले तिल और उड़द की दाल का दान करें।

  • गुरुवार को पीली दालें, हल्दी, जौ या केले का दान करें।

  • गाय को हरा चारा खिलाएं।

  • गणेश जी की पूजा करें और उन्हें पीली मिठाई का भोग लगाएं।


वैधव्य योग

वैधव्य योग का अर्थ है विधवा या विदुर होना। कुंडली का सातवां भाव विवाह और जीवनसाथी का होता है, जबकि आठवां भाव मृत्यु का होता है। यदि सातवें भाव का स्वामी मंगल है और उसका संबंध शनि-मंगल से है, तो वैधव्य योग बनता है।


प्रभाव:



  • वैवाहिक जीवन में तनाव और अविश्वास की स्थिति उत्पन्न होती है।

  • जीवनसाथी को मानसिक और भावनात्मक कष्ट होता है।

  • शादी में देरी होती है।

  • परिवार में विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है।



उपाय:



  • पति-पत्नी दोनों भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।

  • नियमित रूप से ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

  • घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं।


यदि आप जानना चाहते हैं कि दारिद्रय, षड्यंत्र, विष, ग्रहण, अल्पायु और अंगारक योग कब बनते हैं और इनसे बचने के उपाय क्या हैं, तो ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।