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आरती करने के नियम: पूजा का पूरा फल पाने के लिए जानें आवश्यक बातें

आरती किसी भी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इस लेख में हम आरती करने के नियमों और विधियों के बारे में चर्चा करेंगे। जानें कि आरती कैसे करनी चाहिए, किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, और पूजा का पूरा फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है। सही तरीके से आरती करने से न केवल पूजा का महत्व बढ़ता है, बल्कि यह आपके जीवन में सुख और समृद्धि भी लाता है।
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आरती करने के नियम: पूजा का पूरा फल पाने के लिए जानें आवश्यक बातें

आरती का महत्व और नियम

आरती का आयोजन किसी भी पूजा का अभिन्न हिस्सा है। इसके बिना पूजा का फल प्राप्त नहीं होता। धार्मिक अनुष्ठानों के अंत में आरती करना अनिवार्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरती करने के लिए कुछ शास्त्रीय नियम भी हैं?


यदि आरती करते समय इन नियमों का पालन नहीं किया गया, तो पूजा का फल व्यर्थ हो सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आरती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपको पूजा का पूरा लाभ मिल सके।


आरती का स्थान और विधि

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जहां नियमित रूप से पूजा और आरती होती है, वहां सुख, शांति और समृद्धि का निवास होता है। आरती का आयोजन हमेशा खड़े होकर और धातु की थाली में किया जाना चाहिए। आरती चरणों, नाभि और मुखमंडल से शुरू होकर पूरे शरीर पर सात बार घुमाई जाती है। कुल मिलाकर 14 बार घुमाना आवश्यक है।


आरती की शुरुआत कैसे करें

आरती की शुरुआत भगवान के चरणों से करनी चाहिए। चरणों के पास थाल को चार बार घुमाना परमात्मा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इसके बाद, थाल को भगवान की नाभि के पास दो बार घुमाना चाहिए, क्योंकि विष्णुजी की नाभि से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ था। अंत में, थाल को भगवान के मुखमंडल के सामने एक बार घुमाकर नमन करें।


आरती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें


  • अंत में दीया पूरे शरीर पर सात बार घुमाएं।

  • कुल मिलाकर आरती चौदह बार घुमाने का विधान है, जो चौदह भुवनों तक भक्ति को पहुंचाने का मार्ग माना जाता है।

  • आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए और भगवान के सम्मान में थोड़ा झुकना चाहिए।

  • थाली तांबे, पीतल या चांदी की होनी चाहिए।

  • आरती की थाली में गंगाजल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और भगवान के प्रिय भोग अवश्य रखें।

  • दीपक को दक्षिणावर्त घुमाना और आरती के बीच में बोलना या चीखना नहीं।