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आशा वर्कर्स का 26 नवंबर को जिलास्तरीय प्रदर्शन में सक्रिय भागीदारी

आशा वर्कर्स यूनियन ने 26 नवंबर को जींद में होने वाले जिलास्तरीय प्रदर्शन में भाग लेने का निर्णय लिया है। इस बैठक में यूनियन ने भाजपा सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लिया। आशा वर्कर्स ने चार लेबर कोड्स को रद्द करने और पुराने श्रम कानूनों को बहाल करने की मांग की है। इसके अलावा, न्यूनतम वेतन में वृद्धि और स्थायी कर्मचारी का दर्जा देने की भी मांग की गई है। जानें इस प्रदर्शन के पीछे की पूरी कहानी और आशा वर्कर्स की अन्य मांगें।
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आशा वर्कर्स का 26 नवंबर को जिलास्तरीय प्रदर्शन में सक्रिय भागीदारी

आशा वर्कर्स यूनियन की बैठक


जींद में मजदूर भवन धागा मील कॉलोनी में आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान नीलम ने की, जबकि संचालन का कार्य जिला सचिव राजबाला ने किया। इस दौरान यूनियन ने यह निर्णय लिया कि भाजपा सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर को होने वाले जिलास्तरीय प्रदर्शन में सभी आशा वर्कर्स और फैशलिटेटर सक्रिय रूप से भाग लेंगे।


महापड़ाव और पुरानी सिफारिशें

इसके साथ ही, आठ दिसंबर को करनाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के आवास पर महापड़ाव में भी बड़ी संख्या में भागीदारी की जाएगी। इस वर्ष एनएचएम ने 20 वर्ष पूरे किए हैं, जबकि 45वीं भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा स्कीम वर्कर्स के नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा की सिफारिशें एक दशक से अधिक समय पहले की गई थीं। हालांकि, सरकार ने मार्च 2025 में आशा वर्कर्स के वेतन में वृद्धि की घोषणा की थी, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।


डिजिटलीकरण के नाम पर सरकार इन योजनाओं के लाभार्थियों को समाप्त करने की कोशिश कर रही है। बजट में कटौती और वेतन का भुगतान न होना आम बात बन गई है। इन योजनाओं में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवंटन भी लंबे समय से नहीं बढ़ाया गया है।


चार लेबर कोड्स का विरोध

आशा वर्कर्स 26 नवंबर को होने वाले विशाल प्रदर्शन में कंधे से कंधा मिलाकर भाग लेंगी और आठ दिसंबर को करनाल में महापड़ाव में भी शामिल होंगी। उन्होंने मांग की है कि चारों लेबर कोड्स को रद्द किया जाए और पुराने श्रम कानूनों को बहाल किया जाए। न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये लागू किया जाए और हड़ताल के दौरान का मानदेय जारी किया जाए।


आशा वर्कर्स और फैशलिटेटर को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और उन्हें तीसरे दर्जे के कर्मचारियों का दर्जा प्रदान किया जाए। इसके अलावा, पेंशन, ग्रेच्युटी, एक्सग्रेशिया सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाने चाहिए।


अन्य मांगें

सरकार द्वारा परियोजनाओं के निजीकरण के प्रयासों को तुरंत रोका जाए और सुचारु संचालन के लिए पर्याप्त बजट का प्रबंध किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को रद्द किया जाए। 60 वर्ष की आयु के बाद सभी को 10 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाए। आंदोलन के दौरान बने सभी मुकदमे रद्द किए जाएं और हड़ताल का बकाया मानदेय जारी किया जाए।


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