आशूरा की नमाज़ 2025: सही तरीका और समय जानें

आशूरा की नमाज़: इबादत का सही तरीका
आशूरा की नमाज़ 2025: सही तरीका, रकात और समय जानें: आशूरा की नमाज़ अदा करने का सही तरीका क्या है? इस लेख में हम आपको वो महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जो मुहर्रम के इस पवित्र महीने को और भी खास बनाएगी। मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला और सबसे महत्वपूर्ण महीना है, जो इमाम हुसैन की शहादत और इबादत का प्रतीक है। विशेष रूप से 10 मुहर्रम, जिसे आशूरा कहा जाता है, हर मुसलमान के लिए दुआओं और इबादत का दिन है। इस दिन रोज़ा, दुआ और आशूरा की नमाज़ अल्लाह की कृपा प्राप्त करने का एक साधन बनती है। आइए, जानते हैं आशूरा की नमाज़ का सही तरीका, रकात, नियत और समय, ताकि आप इस इबादत को पूरी श्रद्धा से अदा कर सकें।
आशूरा का दिन: महत्व और विशेषता
आशूरा का दिन केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि यह इंसाफ और सत्य की मिसाल है। 10 मुहर्रम को इमाम हुसैन ने कर्बला में शहादत दी, जो आज भी हर दिल को छू जाती है। इस दिन मुसलमान रोज़ा रखते हैं, दुआ करते हैं और नफ़्ल नमाज़ अदा करते हैं। आशूरा की नमाज़ एक ऐसी इबादत है, जो गुनाहों की माफी और अल्लाह की कृपा का मार्ग प्रशस्त करती है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चाई की राह पर चलने वालों को अल्लाह कभी अकेला नहीं छोड़ता।
आशूरा की नमाज़: रकात और विधि
आशूरा की नमाज़ एक नफ़्ल इबादत है, जिसे 2, 4, 6, 8 या 12 रकात में अदा किया जा सकता है। हर दो रकात के बाद सलाम फेरा जाता है। नमाज़ शुरू करने से पहले नियत करें, जैसे: “मैंने 2 रकात नमाज़ आशूरा की नफ़्ल के लिए अल्लाह तआला के, मुंह काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।” हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 3 बार सूरह इखलास पढ़ना आवश्यक है। रुकू, सज्दा और तशह्हुद उसी तरह पढ़ें जैसे रोज़ाना की नमाज़ में। हर दो रकात के बाद 70 बार विशेष तस्बीह पढ़ने से गुनाहों की माफी का मार्ग खुलता है।
आशूरा की रात की विशेष नमाज़
9 मुहर्रम की रात, यानी मगरिब के बाद, एक विशेष नमाज़ अदा की जाती है। यह 4 रकात की नमाज़ एक सलाम के साथ पढ़ी जाती है। हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 1 बार आयतुल कुर्सी और 3 बार सूरह इखलास पढ़ें। नमाज़ के बाद 100 बार सूरह इखलास पढ़ने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि यह नमाज़ गुनाहों को माफ करती है और जन्नत की राह को आसान बनाती है। इस नमाज़ को ईशा से पहले या बाद में भी अदा किया जा सकता है।
सही समय और महत्वपूर्ण बातें
आशूरा की नमाज़ का समय 10 मुहर्रम को सूरज निकलने के बाद से असर की नमाज़ से पहले तक है। लेकिन ध्यान रखें, मकरूह वक्त (सूरज निकलते या डूबते समय) में नमाज़ न पढ़ें। रात की नमाज़ 9 मुहर्रम की मगरिब के बाद शुरू होती है। इस इबादत को पूरी श्रद्धा से अदा करें, ताकि आपकी दुआएं अल्लाह तक पहुंचें। इस आशूरा 2025, अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस नमाज़ का महत्व साझा करें और अल्लाह की कृपा प्राप्त करने का अवसर न चूकें।