आश्विन माह का महत्व: दान और नियमों की जानकारी
आश्विन माह का आरंभ
Kaalchakra Today 9 September 2025: हिंदू धर्म के सातवें महीने आश्विन की शुरुआत हो चुकी है। द्रिक पंचांग के अनुसार, 2025 में यह माह 8 सितंबर से 7 अक्टूबर तक चलेगा। आश्विन मास का नाम अश्विनौ से लिया गया है, जो सूर्य के दो पुत्र और देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। यह महीना देवताओं और पितरों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान सूर्य ग्रह कमजोर हो जाता है। आश्विन नक्षत्र युक्त पूर्णिमा के कारण इसे आश्विन कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, इसे पितृपक्ष महालय भी कहा जाता है, जिसमें 15 दिनों तक पितरों की शांति के लिए पूजा, दान और तर्पण किया जाता है। शुक्ल पक्ष में नवरात्रि का त्योहार भी आता है, जो शक्ति प्रदान करने वाला होता है। इस महीने में पितरों का आशीर्वाद और मां दुर्गा की कृपा दोनों प्राप्त होती है।
आश्विन अमावस्या और पूर्णिमा का महत्व
आश्विन माह की अमावस्या और पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दौरान व्रत और पूजा करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। हालांकि, यदि अमावस्या मंगलवार को आती है, तो इसे शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे रोग बढ़ते हैं और धन का नाश होता है। इस बार 21 सितंबर, रविवार को आश्विन अमावस्या है।
आश्विन माह में दान करने का महत्व
- इस माह में ब्राह्मणों को घी का दान करना चाहिए।
- शिव पुराण के अनुसार, धान का दान करने से अन्न और धन में वृद्धि होती है।
- अग्नि पुराण के अनुसार, गाय का घी, दूध, दही और अन्न का दान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
आश्विन माह के नियम
- मूली, बैंगन, मसूर की दाल और केरला का सेवन न करें।
- दूध का नियमित सेवन करें।
- हल्के गुनगुने पानी से स्नान करें।
- रोज सूर्य देव की पूजा करें।
- कोई शुभ कार्य न करें।
- वृक्षारोपण करें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें।
- झगड़े से बचें और नकारात्मकता से दूर रहें।
- मां दुर्गा के सप्तशती का पाठ करें।
- पितरों के उद्धार के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- तामसिक भोजन से परहेज करें।
वीडियो जानकारी
यदि आप आश्विन माह में अन्य नियमों के बारे में जानना चाहते हैं, तो ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।