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आषाढ़ अमावस्या 2025: पितरों के प्रति श्रद्धा और शायरी का दिन

आषाढ़ अमावस्या 2025, जो 25 जून को आएगी, पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन लोग स्नान, तर्पण और दान के साथ-साथ शायरी के माध्यम से अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह अवसर न केवल धार्मिक है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी हमें जोड़ता है। जानें इस दिन की विशेष शायरी और अपने पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के तरीके।
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आषाढ़ अमावस्या 2025: पितरों के प्रति श्रद्धा और शायरी का दिन

आषाढ़ अमावस्या पर पितरों के लिए शायरी

आषाढ़ अमावस्या 2025: पितृ देव पर शायरी संदेश और उद्धरण हिंदी में: आषाढ़ अमावस्या का नाम सुनते ही मन में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना जागृत होती है। 25 जून 2025 को आने वाली यह तिथि केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह अपने पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का एक पवित्र अवसर है। इस दिन लोग स्नान, तर्पण और दान के साथ-साथ पितरों की याद में शायरी साझा करते हैं। ये दो पंक्तियों वाली शायरी न केवल दिल को छूती हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी सकारात्मकता फैलाती हैं। आइए, इस आषाढ़ अमावस्या पर कुछ विशेष शायरी के माध्यम से पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को संवारें।


पितृ देव पर शायरी


“पितृ देव को नमन, उनका आशीर्वाद बना रहे, जीवन में हर पल।”


“पितृ देव का ध्यान, मन को शांति प्रदान करे, जीवन की हर राह में, पितृ देव का प्रकाश रहे।”


“श्रद्धा से जो अर्पित हो, वही श्राद्ध कहलाता है, पितृ देव का आशीर्वाद, सदा साथ रहता है।”


“पिता-पितामहों का ऋण, श्राद्ध से ही उतरता है, पितृ लोक में शांति मिले, यही अरदास करता हूँ।”


“पितृ देव की कृपा से, जीवन में सुख-शांति छाए, हर संकट से मुक्ति मिले, यही कामना मन में आए।”


आषाढ़ अमावस्या: पितरों को याद करने का दिन


आषाढ़ अमावस्या धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण और दान-पुण्य से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आजकल लोग अपनी भावनाओं को शायरी के माध्यम से भी व्यक्त करते हैं। “पितरों की याद में, तर्पण करें सच्चे मन से, आषाढ़ अमावस्या लाए सुख, आशीर्वाद बरसे।” ऐसी शायरी न केवल भक्ति को जगाती है, बल्कि परिवार और समाज में पितरों के महत्व को भी याद दिलाती है। यह दिन हमें अपने मूल से जोड़ता है।


पितृ तर्पण शायरी


याज्ञवल्क्यस्मृति का कथन है कि पितर लोग, यथा-वसु, रुद्र एवं आदित्य, जो कि श्राद्ध के देवता हैं, श्राद्ध से संतुष्ट होकर मानवों के पूर्व पुरुषों को संतुष्टि देते हैं। श्राद्ध पक्ष की शुभकामना।


वो समय निष्ठुर था पर जाना आपका भी निश्चित था विधाता के समक्ष समय का हारना सुनिश्चित था श्रद्धा सुमन से वंदना करूँ मैं आपके चरणों की आप जहां भी रहें खुश रहें यही कामना मेरी।


ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं
तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः
ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।


पितरों की शायरी


पितृ पक्ष में अपने जीवन की गलतियों के
लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को
प्रार्थना के माध्यम से याद करना चाहिए।


ओ पितृपुरुष!
आप सदैव विद्यमान हैं
इस घर के प्रत्येक कोने में,
प्रत्येक वस्तु-स्थान में
कण कण में जल-स्थल में,
विषय-आशय
अपरा-परा में आज भी निहित है
आप इस घर की शिक्षा-दीक्षा
संस्कार-संस्कृति में
देव-स्वरूप विद्यमान हैं


आषाढ़ अमावस्या शायरी


आप हर स्थिति में
हे पितृपुरुष
आप सभी विपत्तियों से हमेशा बचाव करें
आपको इस वर्ष के लिए अश्रुपूर्ण विदाई


ब्रह्म पुराण के अनुसार जो कुछ उचित काल,
पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा
पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है,


पितृ पक्ष का महत्व जीवन को
आशीर्वाद और संतुष्टि की ओर ले जाता है।


दो पंक्तियों में श्रद्धा


आषाढ़ अमावस्या पर शायरी लिखना और शेयर करना एक नया चलन बन गया है। ये दो पंक्तियाँ गहरी भावनाओं को व्यक्त करती हैं। “आषाढ़ की अमावस्या, पितरों का आशीष, स्नान-तर्पण से मन को, मिले शांति विशेष।” ऐसी शायरी व्हाट्सएप, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर खूब शेयर होती है। ये पंक्तियाँ न केवल पितरों के प्रति श्रद्धा दर्शाती हैं, बल्कि मन को सुकून भी देती हैं। लोग इन शायरी को स्टेटस बनाकर दूसरों तक अपनी भावनाएँ पहुँचाते हैं।


पितरों के लिए शायरी


पितरों के लिए लिखी शायरी में गहरी श्रद्धा और सम्मान झलकता है। “पितरों की आत्मा को, तर्पण से शांति दो, आषाढ़ अमावस्या पर, सुख-समृद्धि का वर लो।” ऐसी शायरी पढ़ते ही मन में पवित्रता का अहसास होता है। ये पंक्तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद ही हमारी जिंदगी की नींव है। इस दिन शायरी के ज़रिए अपनी भावनाएँ व्यक्त करना न केवल धार्मिक है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी हमें मज़बूत बनाता है।


पितरों का आशीर्वाद पाएँ


आज के डिजिटल युग में आषाढ़ अमावस्या शायरी सोशल मीडिया पर धूम मचाती है। लोग सुबह-सुबह ऐसी शायरी शेयर करके दिन की शुरुआत करते हैं। “पितरों की याद में, दीप जलाएँ आज, आषाढ़ अमावस्या लाए, सुख-शांति का साज।” ऐसी शायरी न केवल दूसरों को प्रेरित करती है, बल्कि पितरों के प्रति कृतज्ञता भी जताती है। इस दिन सच्चे मन से शायरी शेयर करें और पितरों का आशीर्वाद पाएँ। ये छोटा सा प्रयास आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।


आषाढ़ अमावस्या शायरी


पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो
कर्म श्रद्धा से किया जाता है,
उसी को 'श्राद्ध' कहते हैं।
श्राद्ध, अपने पूर्वजों के प्रति
सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं।