आषाढ़ अमावस्या 2025: पितृ दोष निवारण के लिए महत्वपूर्ण उपाय
आषाढ़ अमावस्या 2025 की तिथि
आषाढ़ अमावस्या 2025: यह विशेष तिथि 25 जून को मनाई जाएगी, जो पितृ शांति और पितृ दोष के निवारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह अमावस्या 24 जून की शाम 7 बजे से शुरू होकर 25 जून को शाम 4:02 बजे समाप्त होगी। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह दिन देवी-देवताओं की कृपा और पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है।
पितृ दोष की शांति के लिए उपाय
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक किए गए उपाय न केवल वर्तमान जीवन की समस्याओं को हल करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी शुभ फल प्रदान करते हैं। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे पूजा करने से त्रिदेव और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। सुबह स्नान के बाद पीपल को जल अर्पित करें, दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें, इससे पितृ दोष शांत होता है।
पवित्र नदी में स्नान
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना भी पुण्यदायी माना जाता है। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो गंगाजल मिलाकर स्नान करें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल में तिल अर्पित करें। यह क्रिया पितरों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है।
जरूरतमंदों को भोजन कराएं
पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनके नाम पर काली गाय, काला कुत्ता, कौआ, ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए। इससे पारिवारिक कष्ट दूर होते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप
भगवान शिव की विशेष उपासना करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से रोगों से मुक्ति और दीर्घायु का वरदान मिलता है। साथ ही काले तिल, तेल, लोहा और वस्त्र का दान राहु-केतु के दोष को शांत करता है और आर्थिक समस्याओं से राहत मिलती है।
जरूरतमंदों को दान
आषाढ़ अमावस्या पर जरूरतमंदों को छाता और वस्त्र दान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वर्ष भर घर में सुख-शांति बनी रहती है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन में स्थायित्व और संतुलन लाने के लिए भी आवश्यक है।
