Newzfatafatlogo

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: पूजा विधि और महत्व

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व 26 जून से शुरू हो रहा है, जिसमें 10 महाविद्याओं की पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, यह समय तंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण है। जानें इस नवरात्रि की तिथियां, पूजा विधि और विशेष साधनाओं के बारे में।
 | 
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: पूजा विधि और महत्व

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, पहली गुप्त नवरात्रि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इस वर्ष, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से शुरू हो रही है। इस अवसर पर 10 महाविद्याओं की पूजा का विशेष महत्व है। यह समय महाकाली और भगवान शिव की पूजा करने वालों के लिए खास माना जाता है। तंत्र साधक इस दौरान विशेष साधनाएं करते हैं। जयपुर जोधपुर के पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से आरंभ होकर 4 जुलाई को समाप्त होगी। इन नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इस समय की गई साधना जन्मकुंडली के दोषों को दूर करने और चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करने में सहायक होती है। इसका सबसे प्रभावशाली समय मध्य रात्रि से सूर्योदय तक माना गया है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।


गुप्त नवरात्रि की तिथियां और पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि का यह पावन पर्व आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल में चार नवरात्रि होती हैं, जिनमें से दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती हैं, जबकि दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं।


गुप्त नवरात्रि की तिथियां

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तिथि


ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 25 जून को शाम 04 बजे से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है, इसलिए गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 26 जून से होगी।


प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: बुधवार, 25 जून 2025 को शाम 04:00 बजे


प्रतिपदा तिथि समापन: गुरुवार 26 जून 2025 को दोपहर 01:24 बजे


उदया तिथि में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: गुरुवार, 26 जून 2025


घट स्थापना और शुभ योग

आषाढ़ नवरात्रि घट स्थापना


भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि घट स्थापना का अनुष्ठान प्रतिपदा तिथि में मां के आवाहन से शुरू होता है। इस साल घट स्थापना का शुभ मुहूर्त मिथुन लग्न के दौरान है।


मिथुन लग्न प्रारंभ: 26 जून 2025 को सुबह 04:33 बजे


मिथुन लग्न समापन: 26 जून 2025 को सुबह 06:05 बजे तक


कलश स्थापना मुहूर्त: सुबह 4:33 बजे से 6:05 बजे तक


ध्रुव योग: रात 11:40 बजे तक


सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 08:46 बजे से 27 जून को सुबह 05:35 बजे तक


विशेष साधना का महत्व

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ दस महाविद्या की पूजा की जाती है। मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।