इंसानों ने 50,000 साल पहले निएंडरथल से सीखा चुंबन
चुंबन की उत्पत्ति का रहस्य
नई दिल्ली - प्यार का इजहार करने का एक सामान्य तरीका, किस, आखिरकार इंसानों में कैसे शुरू हुआ? यह सवाल लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ था। हाल ही में एक नए अध्ययन ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि इंसानों ने लगभग 50,000 साल पहले अपने निकट संबंधी निएंडरथल से पहली बार किस करना सीखा था।
चुंबन का स्वाभाविक व्यवहार नहीं था
शोधकर्ताओं के अनुसार, 50,000 साल पहले पृथ्वी पर मौजूद प्रारंभिक होमो सेपियंस को चुंबन जैसी प्रक्रिया का ज्ञान नहीं था। निएंडरथल मानव, जो उस समय यूरोप और पश्चिमी एशिया में निवास करते थे, इंसानों के निकट पूर्वज माने जाते हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि निएंडरथल समाज में चुंबन एक सामान्य सामाजिक व्यवहार था, जिसे बाद में इंसानों ने अपनाया।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने इस बात के प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि प्राचीन मानव लगभग 50,000 वर्ष पहले चुंबन करना सीख गए थे। निएंडरथल (होमो निएंडरथैलिएन्सिस) मानव के निकट पूर्वज थे, जो लगभग 400,000 से 40,000 वर्ष पूर्व यूरोप और पश्चिमी एशिया में रहते थे।
निएंडरथल का डीएनए आज भी मौजूद
पिछले अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि हमारी प्रजाति, होमो सेपिंस, ने निएंडरथल के साथ संबंध बनाए थे। निएंडरथल का डीएनए आज भी मानवों में पाया जाता है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या चुंबन उनके यौन संबंधों का हिस्सा था। फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर और इस अध्ययन की लेखिका कैथरीन टैलबोट ने कहा कि चुंबन एक सामान्य या सार्वभौमिक व्यवहार लग सकता है, लेकिन यह केवल 46 प्रतिशत मानव संस्कृतियों में ही पाया जाता है।
सामाजिक मानदंडों के संदर्भ में विभिन्न समाजों में चुंबन के प्रकार भिन्न होते हैं, जिससे यह प्रश्न उठता है कि क्या चुंबन एक विकसित व्यवहार है या सांस्कृतिक आविष्कार है।
चुंबन एक विकासवादी पहेली
आधुनिक मनुष्यों के लिए, चुंबन आमतौर पर किसी के साथ रोमांटिक संबंध बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, लेकिन शोधकर्ता इसे 'एक विकासवादी पहेली' मानते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें रोग संचरण का उच्च जोखिम होता है, और इससे प्रजनन प्रक्रिया में कोई स्पष्ट लाभ नहीं मिलता। चुंबन के विकासवादी इतिहास को देखना भी कठिन है, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से ऐसा व्यवहार नहीं है जिसे पुरातात्विक अवशेषों से निर्धारित किया जा सके। अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने आधुनिक प्राइमेट प्रजातियों पर वैज्ञानिक साहित्य से डेटा एकत्र किया, जिनमें चिम्पांजी, बोनोबोस और ओरांगुटान शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने चुंबन को गैर-आक्रामक, मुंह से मुंह का संपर्क बताया। इसमें भोजन का आदान-प्रदान शामिल नहीं होता। उन्होंने प्राइमेट फैमिली ट्री की शाखाओं के साथ विभिन्न विकास परिदृश्यों का अनुकरण करने के लिए एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण (जिसे बेयसियन मॉडलिंग कहा जाता है) का इस्तेमाल किया।
इस मॉडल को 10 मिलियन बार चलाया गया, ताकि हमारे विभिन्न पूर्वजों के बारे में ठोस सांख्यिकीय अनुमान लगाया जा सके, जो चुंबन करने की प्रक्रिया में शामिल थे। इसके परिणामों से पता चलता है कि चुंबन की कला महान वानरों के पूर्वजों में 21.5 मिलियन से 16.9 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच विकसित हुई थी। महान वानरों या 'होमिनिडे' के चार जीवित वर्ग हैं - ओरंगुटान, गोरिल्ला, पैन (जिसमें चिम्पांजी और बोनोबो शामिल हैं) और होमो, जिनमें से केवल आधुनिक मानव ही बचे हैं।
परिणामों से यह भी पता चला कि निएंडरथल अपने अस्तित्व के दौरान चुंबन में भी संलग्न थे, जो अपेक्षाकृत हाल की बात है (लगभग 400,000 से 40,000 वर्ष पूर्व)। इसका मतलब है कि आधुनिक मानवों के निकट संबंधी निएंडरथल प्रजाति कई लाख वर्ष पहले से चुंबन करना जानते थे। यह खोज उस पूर्व अध्ययन को आगे बढ़ाती है, जिसमें यह पता लगाया गया था कि मनुष्य और निएंडरथल लार के माध्यम से मौखिक रूप से सूक्ष्मजीवों को साझा करते थे। यह सबूत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि मानव और निएंडरथल संबंध बनाने के दौरान एक दूसरे को चूमते थे।
तभी से चुंबन की प्रवृत्ति इंसान सहित बड़े वानर प्रजातियों में बरकरार है। साथ ही इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इंसानों में निएंडरथल से चुंबन करने की प्रवृत्ति ट्रांसफर हुई। यह प्रवृत्ति अभी भी अधिकांश बड़े वानरों में मौजूद है।
जूं निकालने की प्रक्रिया का विकास
पिछले वर्ष, वारविक विश्वविद्यालय के विकासवादी मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर एड्रियानो लामीरा ने मानव चुंबन की विकासवादी उत्पत्ति को रेखांकित करते हुए एक रिसर्च प्रकाशित किया था। उन्होंने कहा कि होठों को सिकोड़कर हल्के से चूसने की क्रिया एक समय में एक-दूसरे के बालों से जूं को हटाने की तकनीक थी, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया एक दूसरे से संबंध बनाने के दौरान स्वाभाविक रूप से इस्तेमाल होने लगी।
