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उज्जैन में दीपावली पर तांत्रिक अनुष्ठान: जलती चिताओं पर विशेष साधना

उज्जैन, जो तंत्र और साधना का प्रमुख केंद्र है, हर साल दीपावली की रात विशेष तांत्रिक अनुष्ठानों का आयोजन करता है। इस वर्ष विक्रांत भैरव श्मशान घाट पर राजनीतिक प्रत्याशियों द्वारा विजय सुनिश्चित करने के लिए तंत्र साधनाएं की जा रही हैं। साधक इस रात भैरव बाबा, मां काली और मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं। जानें इस अद्भुत साधना के बारे में और कैसे यह उज्जैन को रहस्यमय अध्यात्म का केंद्र बनाता है।
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उज्जैन में दीपावली पर तांत्रिक अनुष्ठान: जलती चिताओं पर विशेष साधना

उज्जैन: तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र

महाकाल की नगरी उज्जैन को तंत्र, मंत्र और साधना का एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। हर साल दीपावली की रात, जिसे कार्तिक अमावस्या के नाम से जाना जाता है, यहां के श्मशानों में तांत्रिक और साधक विशेष अनुष्ठानों के लिए इकट्ठा होते हैं। इस वर्ष विक्रांत भैरव श्मशान घाट अपनी अनोखी तांत्रिक क्रियाओं के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि यहां कुछ राजनीतिक प्रत्याशियों द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव में सफलता के लिए विशेष तंत्र साधनाएं की जा रही हैं।


विशेष अनुष्ठान की शुरुआत

तंत्र साधक जयवर्धन भारद्वाज ने जानकारी दी कि धनतेरस की रात से यह विशेष अनुष्ठान शुरू हो चुका है, जो दीपावली की अमावस्या की मध्यरात्रि में समाप्त होगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष कई राजनीतिक प्रत्याशियों ने भी अपनी किस्मत और विजय के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया है। तंत्र क्रिया के लिए आवश्यक सामग्री में मदिरा, नींबू, मिठाई, फल, सिंदूर, अबीर, माचिस, कंडे, फूल और दीपक शामिल हैं। साधना मध्य रात्रि से आरंभ होती है और डेढ़ से दो घंटे तक चलती है।


शव साधना और तंत्र क्रिया

जलती चिता के पास शव साधना सुख-शांति के लिए की जाती है। इस साधना में शव को नींबू, मिर्ची, नमकीन और मदिरा का भोग अर्पित किया जाता है। इसके अलावा, श्मशान साधना भी होती है, जिसमें साधना कराने वाले भी शामिल हो सकते हैं। ऐसी साधनाएं अक्सर तारापीठ, कामाख्या पीठ, त्र्यम्बकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ में होती हैं।


भैरव साधना का महत्व

साधकों का मानना है कि विक्रांत भैरव स्थल स्वयं भैरव बाबा की साधना भूमि है, जिसे भैरवगढ़ भी कहा जाता है। यहां किए गए अनुष्ठान सौ प्रतिशत सिद्धि और विजय प्रदान करते हैं। इसलिए चुनाव, धन प्राप्ति या अधिकार प्राप्ति जैसी इच्छाओं के लिए यहां तांत्रिक साधना का विशेष महत्व है।


कार्तिक अमावस्या की शक्ति

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक अमावस्या को वर्ष की सबसे शक्तिशाली अमावस्या माना जाता है। इस रात तंत्र साधक भैरव बाबा, मां काली, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और गणेशजी की आराधना करते हैं। लक्ष्मी प्राप्ति और वर्चस्व के लिए कई तांत्रिक उल्लू की बलि, कछुआ साधना, कोड़ी साधना और गौरी-गणेश साधना भी करते हैं।


उज्जैन का तांत्रिक महत्व

उज्जैन का यह श्मशान भारत के पांच प्रमुख तांत्रिक स्थलों में से एक है। दीपावली की रात जब पूरा शहर दीपों से जगमगाता है, तब साधक अंधकार में लीन होकर सिद्धि, शक्ति और लक्ष्मी के आह्वान की तपस्या करते हैं। यह अद्भुत संगम उज्जैन को रहस्यमय अध्यात्म और राजनीतिक आस्थाओं के केंद्र में ले आया है।