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उत्तराखंड के कनोडिया गांव की 1978 की बाढ़: एक चेतावनी

उत्तरकाशी के कनोडिया गांव में 1978 में आई भयंकर बाढ़ ने कई जिंदगियों को प्रभावित किया। यह आपदा एक भूस्खलन के कारण हुई, जिसने भागीरथी नदी के प्रवाह को रोक दिया। गांव के बुजुर्ग आज भी उस दिन को याद करते हैं, जब अचानक पानी ने सब कुछ बहा लिया। यह त्रासदी केवल प्राकृतिक घटना नहीं थी, बल्कि मानव लापरवाही का भी परिणाम थी। आज की चेतावनी है कि पहाड़ी क्षेत्रों में संतुलित विकास और सतर्कता कितनी जरूरी है।
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उत्तराखंड के कनोडिया गांव की 1978 की बाढ़: एक चेतावनी

1978 की भयंकर बाढ़ का मंजर


उत्तरकाशी जिले के कनोडिया गांव ने 47 वर्ष पहले एक भयानक आपदा का सामना किया था, जिसे आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं। 1978 में आई इस विनाशकारी बाढ़ की शुरुआत एक भूस्खलन से हुई, जिसने भागीरथी नदी के प्रवाह को पूरी तरह से रोक दिया। इस भूस्खलन के कारण नदी के सामने विशाल मलबा जमा हो गया, जिससे एक अस्थायी झील का निर्माण हुआ। पानी लगातार भरता गया और दबाव बढ़ता गया। जब यह अवरोध टूट गया, तो तेज वेग से पानी ने कनोडिया गांव को अपनी चपेट में ले लिया। इस बाढ़ में कई घर बह गए, खेत बर्बाद हो गए और कई लोगों की जान चली गई।


गांव के बुजुर्ग आज भी उस दिन को याद करते हैं, जब सब कुछ सामान्य था, लेकिन अचानक धरती फटी और पानी सब कुछ बहा ले गया। उस समय बचाव के संसाधन बहुत सीमित थे और प्रशासन की मदद भी देर से पहुंची।


यह त्रासदी केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं थी, बल्कि मानव लापरवाही का भी परिणाम थी। पहाड़ी क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन की अनदेखी ऐसे हादसों का कारण बनती है।


कनोडिया की 1978 की बाढ़ आज भी उत्तराखंड के लिए एक चेतावनी है। यह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में संतुलित विकास और सतर्कता कितनी आवश्यक है।