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उत्पन्ना एकादशी पर तुलसी के नियमों का पालन करें

उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से सभी पाप समाप्त होते हैं। तुलसी से जुड़े नियमों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। जानें इस दिन के महत्व और तुलसी से संबंधित महत्वपूर्ण नियमों के बारे में।
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उत्पन्ना एकादशी पर तुलसी के नियमों का पालन करें

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व


उत्पन्ना एकादशी का महत्व
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। तुलसी से संबंधित नियमों का पालन करना भी आवश्यक है, क्योंकि ऐसा न करने पर मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।


मार्गशीर्ष मास का महत्व

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के शरीर से एकादशी देवी का जन्म हुआ था। इसके बाद भगवान ने मुर नामक दैत्य का वध किया।


उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ एकादशी देवी की भी पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।


तुलसी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें


  • तुलसी को जल न दें: एकादशी के दिन तुलसी माता के लिए जल देना वर्जित है, क्योंकि इससे उनका व्रत टूट जाता है।

  • तुलसी के पत्ते न तोड़ें: इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना मना है। साथ ही, तुलसी के पौधे के आसपास सफाई का ध्यान रखना चाहिए।

  • गंदे हाथों से न छुएं: भूलकर भी तुलसी को गंदे या जूठे हाथों से नहीं छूना चाहिए, क्योंकि इससे अशुभ फल मिलते हैं।


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