उदयपुर में मटकी तोड़ने की अनोखी परंपरा से इंद्रदेव को रिझाने का प्रयास

मटकी तोड़ने की परंपरा
उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी कहा जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और अद्वितीय परंपराओं के लिए जाना जाता है। इस बार, यह शहर एक बार फिर अपनी प्राचीन परंपरा के कारण चर्चा में है। मानसून के मौसम में, जब पूरे देश में बारिश हो रही है, उदयपुर अभी भी पर्याप्त वर्षा का इंतजार कर रहा है। शहर की प्रसिद्ध झीलें, जैसे फतहसागर और रंगसागर, भले ही भर चुकी हों, लेकिन कई क्षेत्रों में बारिश की कमी ने स्थानीय निवासियों को चिंतित कर दिया है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, उदयपुर की महिलाएं एक अनोखी परंपरा को जीवित रखते हुए इंद्रदेव को प्रसन्न करने का प्रयास कर रही हैं.
राजमाली समाज की महिलाएं
भोइवाड़ा की राजमाली समाज की महिलाओं ने गणगौर घाट पर इंद्रदेव की विशेष पूजा की और गंदे पानी से भरी मटकियां शहर के बाजारों में दुकानों के सामने फोड़ीं। यह अनोखी परंपरा सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है। इसे मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा माना जा रहा है। माना जाता है कि जब बारिश नहीं होती, तो इंद्रदेव को 'नाराज़' करने के लिए यह टोटका किया जाता है। इस परंपरा के अनुसार, महिलाएं गंदे पानी से भरी मटकियां लेकर बाजारों में निकलती हैं और दुकानों के बाहर उन्हें फोड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे दुकानदारों की गालियां इंद्रदेव तक पहुंचती हैं, जिससे वे क्रोधित होकर बारिश करते हैं.
गणगौर घाट पर अनुष्ठान की शुरुआत
इस टोटके की शुरुआत गणगौर घाट पर हुई, जहां भोइवाड़ा की राजमाली समाज की महिलाएं एकत्रित हुईं। उन्होंने पूजा-अर्चना की, पारंपरिक प्रसाद का भोग लगाया, और झील से गंदा पानी मटकियों में भरा। इसके बाद, पारंपरिक गीत गाते हुए वे जगदीश चौक की ओर बढ़ीं.
दुकानदारों को भड़काने का उद्देश्य
जगदीश चौक में जगदीश मंदिर के सामने मटकियां फोड़ने के बाद, महिलाएं घंटाघर, बड़ाबाजार, मोचीवाड़ा और अंदरूनी बाजार की ओर बढ़ीं। इस दौरान वे पारंपरिक गीत गाती रहीं और दुकानों के सामने मटकियां फोड़ती रहीं। कई दुकानदारों को इस परंपरा की पहले से जानकारी थी, और कुछ ने महिलाओं को आते देख अपनी दुकानें बंद कर दीं। कुछ दुकानदारों ने हल्की नाराज़गी भी दिखाई, जो इस टोटके का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। यह नाराज़गी ही इंद्रदेव को बारिश बरसाने के लिए प्रेरित करती है, ऐसा स्थानीय मान्यता है.