एकादशी व्रत का महत्व और नियम: जानें कैसे करें पूजा
एकादशी का व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है, जो व्यक्ति को पुण्य और मोक्ष प्रदान करता है। इस लेख में हम एकादशी व्रत के महत्व, नियम और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे। जानें कि कैसे इस दिन की पूजा से जीवन में सुख और शांति लाई जा सकती है।
Oct 10, 2025, 14:32 IST
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एकादशी व्रत का परिचय
एकादशी का व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन व्रति को विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को हजार गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों और पुराणों में इसे हरि दिन कहा गया है। इस लेख में हम जानेंगे कि एकादशी का व्रत क्यों आवश्यक है, इसके नियम और महत्व के बारे में। एकादशी की तिथि पर आध्यात्मिक कार्य करने से मन और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
एकादशी का महत्व
एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करता है। महाभारत के समय में भीष्म पितामह ने भी इस व्रत का पालन किया था। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से ही भीष्म ने अपनी मृत्यु का समय स्वयं चुना था।
आध्यात्मिक और सांसारिक दृष्टिकोण
एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांसारिक दृष्टि से भी लाभकारी है। इस व्रत के पालन से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। इसके साथ ही, व्यक्ति अपने पूर्वजों का उद्धार करते हुए अंत में बैकुंठ धाम भी जाता है।
एकादशी व्रत के नियम
स्कंद पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत के नियम काफी कठोर होते हैं। व्रति को एकादशी तिथि से पहले, यानी दशमी तिथि के सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रखना चाहिए।
एकादशी व्रत के दिन की गतिविधियाँ
व्रति को दशमी तिथि के सूर्यास्त के समय से व्रत आरंभ करना चाहिए।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाएँ करके श्रीहरि विष्णु की पूजा करें।
दशमी तिथि को बिना नमक का भोजन करें।
एकादशी तिथि पर श्रीहरि विष्णु के मंत्रों का जाप करें और बातचीत कम करें।
व्रत के दौरान मेवा, चीनी, नारियल, जैतून, दूध, ताजे फल, कुट्टू का आटा, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि का सेवन किया जा सकता है।