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एकादशी व्रत के नियम: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जानें आवश्यक बातें

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस व्रत को सही तरीके से करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। इस लेख में हम एकादशी व्रत के महत्व, इसे कैसे और कब करना है, दिन की शुरुआत कैसे करनी है, क्या खाना है और किन बातों से दूर रहना है, जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे आप इस व्रत के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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एकादशी व्रत के नियम: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जानें आवश्यक बातें

एकादशी व्रत का महत्व

Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष स्थान है, जिसमें एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह व्रत हर महीने दो बार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है और पापों से मुक्ति मिलती है। हालांकि, इसका फल तभी प्राप्त होता है जब इसे सही तरीके से किया जाए। कई लोग नियमों का पालन नहीं करते हैं, जिससे उन्हें इसका पूरा पुण्य नहीं मिल पाता। इसलिए, व्रत करने से पहले इसके नियमों को जानना आवश्यक है। आइए जानते हैं एकादशी व्रत के महत्वपूर्ण नियम जिन्हें मानकर आप भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।


एकादशी व्रत कब और कैसे करें?

कब और कैसे रखें एकादशी व्रत?

  • एकादशी व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को रखा जाता है।
  • व्रत का पारण द्वादशी तिथि (12वीं) के दिन सूर्योदय के बाद करना चाहिए।


दिन की शुरुआत कैसे करें

दिन की शुरुआत ऐसे करें

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • व्रत का संकल्प लें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।


क्या खाएं, क्या नहीं?

क्या खाएं, क्या नहीं?

  • व्रत में फल, दूध, दही, साबूदाना जैसे सात्विक चीजें ही लें।
  • चावल, मसूर की दाल, तले-भुने और तेल वाले भोजन से बचें।
  • कांसे के बर्तन में भोजन न करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें।


किन बातों से रहें दूर?

किन बातों से रहें दूर?

  • झूठ, चुगली, निंदा, क्रोध और द्वेष से बचें।
  • घर में शांति बनाए रखें और भगवान का स्मरण करते रहें।


पारण और दान का महत्व

पारण और दान का महत्व

  1. द्वादशी के दिन व्रत खोलते समय सबसे पहले चावल खाएं।
  2. किसी ब्राह्मण को दक्षिणा और भोजन का दान जरूर करें।