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कर्नाटक का अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर: एक आध्यात्मिक यात्रा

कर्नाटक के हसन जिले में स्थित अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर, 12वीं सदी का एक ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर श्री रामानुजाचार्य के आध्यात्मिक अनुभव से जुड़ा हुआ है। यहां एक चमत्कारी पत्थर है, जो भक्तों की मनोकामनाओं से जुड़ा है। जानें इस मंदिर की यात्रा कैसे करें और यहां की विशेष गतिविधियों के बारे में।
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कर्नाटक का अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर: एक आध्यात्मिक यात्रा

मंदिर का परिचय

अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर कर्नाटक के हसन जिले के चन्नरायपेटा तालुक के चिक्कोनहल्ली में स्थित है। यह मंदिर 12वीं सदी में स्थापित हुआ था, जिससे इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। श्री रामानुजाचार्य, जो तमिलनाडु से निर्वासित होकर मेलुकोटे आए थे, ने अपनी यात्रा के दौरान चिक्कोनहल्ली में एक रात बिताई। इस रात उन्हें एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ। अगले दिन, उन्होंने गांव वालों को बताया कि यह स्थान भगवान विष्णु के लिए पवित्र है।


मंदिर की स्थापना

रामानुजाचार्य ने सुझाव दिया कि यहां श्रीहरि विष्णु की मूर्ति स्थापित की जाए और नियमित पूजा की जाए। उनके निर्देश पर, गांव वालों ने भगवान राम की धनुष बाण लिए हुए मूर्ति की स्थापना की और पूजा शुरू की। इस मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है, और यहां एक चमत्कारी पत्थर भी है, जिसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।


कैसे पहुंचे मंदिर

अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर कर्नाटक के हसन जिले के चन्नरायपटना तालुक के चिक्कोनहल्ली गांव में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आपको हसन या चन्नरायपटना आना होगा, जो रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यदि आप बेंगलुरू से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको लगभग 160 किमी की दूरी तय करनी होगी, जिसे आप बस, ट्रेन या कार से 3-4 घंटे में पूरा कर सकते हैं। चन्नरायपटना या हसन से टैक्सी या स्थानीय परिवहन से चिक्कोनहल्ली पहुंचा जा सकता है।


मंदिर की ऐतिहासिकता

विदेशी आक्रमणकारियों से सुरक्षा के लिए, गांव वालों ने इसे रंगनाथस्वामी मंदिर के नाम से जाना। आक्रमणकारी रंगनाथ के नाम और पूजा का सम्मान करते थे। रामानुजाचार्य के अनुसार, यह मंदिर रंगनाथस्वामी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। हर शनिवार को यहां दसोहा का आयोजन होता है, और राम नवमी पर भव्य रथ उत्सव मनाया जाता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, मंदिर की सुरक्षा 'दोनप्पा' नामक देवता करते हैं।


पत्थर की विशेषता

इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि यहां रामानुजाचार्य का एक छोटा पत्थर है, जिसका उपयोग वह तकिए के रूप में करते थे। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना लेकर उस पत्थर पर बैठता है, तो यदि उसकी इच्छा पूरी होती है, तो पत्थर दाईं ओर झुकता है, और यदि नहीं, तो बाईं ओर। भक्त इस पत्थर को देखकर हैरान रह जाते हैं, क्योंकि इसकी गति इतनी तेज होती है कि व्यक्ति खुद घूमने लगता है।


मंदिर में गतिविधियाँ

हर शनिवार को मंदिर में सामूहिक भोजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी भक्त शामिल हो सकते हैं। राम नवमी के अवसर पर भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें भाग लेकर आप धार्मिक और सांस्कृतिक आनंद का अनुभव कर सकते हैं। मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है, और यहां की हरियाली और पहाड़ों का दृश्य मन को सुकून देता है। मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग मंदिर के इतिहास और रामानुजाचार्य से जुड़े प्रसंगों के बारे में जानकारी देते हैं।