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कल्कि जयंती 2025: चार शुभ संयोगों के साथ विशेष महत्व

कल्कि जयंती 2025, जो 30 जुलाई को मनाई जाएगी, विशेष महत्व रखती है। इस दिन चार शुभ संयोग बन रहे हैं, जो पूजा के महत्व को बढ़ाते हैं। जानें इस पर्व की पूजा विधि और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता।
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कल्कि जयंती 2025: चार शुभ संयोगों के साथ विशेष महत्व

कल्कि जयंती का महत्व

सनातन धर्म में त्योहारों और जयंती का विशेष स्थान है। हर तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होती है, जिनकी पूजा से भक्त सुख और शांति की कामना करते हैं। 2025 में कल्कि जयंती 30 जुलाई को मनाई जाएगी, जो चार शुभ संयोगों के साथ आएगी, जिससे इस पर्व का महत्व और बढ़ जाएगा।


कल्कि जयंती 2025: तिथि और समय


हिंदू पंचांग के अनुसार, कल्कि जयंती हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में, यह तिथि बुधवार, 30 जुलाई को है। षष्ठी तिथि का आरंभ 29 जुलाई, 2025 को शाम 07:53 बजे होगा और समाप्ति 30 जुलाई, 2025 को शाम 06:51 बजे होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:47 से दोपहर 02:27 बजे तक रहेगा।


कल्कि जयंती का उद्देश्य


यह पर्व भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि जब धरती पर पाप बढ़ेंगे, तब भगवान कल्कि सफेद घोड़े पर अवतरित होंगे, पापियों का नाश करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। यह पर्व धर्म की विजय का प्रतीक है।


30 जुलाई को चार शुभ संयोग


कल्कि जयंती पर चार शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन की पूजा को और महत्वपूर्ण बनाएंगे:


  • स्कंद षष्ठी व्रत: भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित।
  • बुधादित्य योग: बुद्धि और सफलता का प्रतीक।
  • वृद्धि योग: शुभ कार्यों की सिद्धि के लिए उत्तम।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सभी इच्छाओं की पूर्ति का योग।


पूजा विधि


कल्कि जयंती की पूजा विधि: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें, पूजा स्थल को साफ करें और भगवान कल्कि की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और भोग में फल, मिठाई अर्पित करें। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।


स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि: भगवान कार्तिकेय की पूजा करें, उन्हें मोरपंख और लाल वस्त्र अर्पित करें। व्रतधारी फलाहार करते हैं और "ॐ शरवणभवाय नमः" का जाप करते हैं।