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कांवड़ यात्रा पर मीट दुकानों के बंद होने का विवाद: धार्मिक ध्रुवीकरण की चिंता

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा की तैयारियों के बीच मीट दुकानों को बंद करने के आदेश पर विवाद खड़ा हो गया है। मौलाना साजिद रशीदी ने इसे 'तुगलकी फरमान' कहा है, जबकि डॉ. एसटी हसन ने जुर्माने की राशि पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है। क्या यह धार्मिक ध्रुवीकरण का संकेत है? जानें पूरी कहानी में।
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कांवड़ यात्रा पर मीट दुकानों के बंद होने का विवाद: धार्मिक ध्रुवीकरण की चिंता

कांवड़ यात्रा की तैयारियों के बीच नया विवाद

सावन का महीना शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं, और कांवड़ यात्रा की तैयारियों में प्रशासन सक्रिय है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में यात्रा मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने कदम उठाए हैं। लेकिन इस बीच एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की दुकानों को बंद करने के आदेश को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।


मौलाना साजिद रशीदी का बयान

ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने इस आदेश को 'तुगलकी फरमान' बताया है। उन्होंने कहा कि, 'उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बाद अब उत्तराखंड में भी मीट दुकानों को बंद करने की योजना बनाई जा रही है, यह उचित नहीं है।' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक विशेष धर्म के लिए निर्णय लेकर धर्मनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन कर रही है। मौलाना रशीदी ने कहा, 'कांवड़ यात्रा के नाम पर धार्मिक ध्रुवीकरण नहीं होना चाहिए। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और सभी धर्मों को समान सम्मान मिलना चाहिए।'


डॉ. एसटी हसन की राय

मुरादाबाद के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि होटल के मालिक का नाम लिखा जाना गलत नहीं है, लेकिन नाम बदलकर या धर्म छुपाकर व्यापार करना अनुचित है। उन्होंने कहा, 'सबसे बड़े बीफ एक्सपोर्टर का मालिक हिंदू है। व्यक्ति को अपने धर्म की पहचान पर गर्व होना चाहिए।' उन्होंने जुर्माने की राशि पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि '2 लाख रुपये का जुर्माना अत्यधिक है, इसे 500 से 1000 रुपये के बीच रखा जाना चाहिए।'


दिग्विजय सिंह का बयान

इस विवाद पर कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'अगर सरकार कांवड़ यात्रा के लिए सुविधाएं देती है तो यह स्वागतयोग्य है, लेकिन इस धार्मिक यात्रा का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए। अगर इससे समाज में विभाजन और तनाव पैदा होता है, तो यह सभ्य समाज के खिलाफ है।'