कागबलि: श्राद्ध पक्ष में कौवों को भोजन अर्पित करने की परंपरा

कागबलि का अर्थ और महत्व
कागबलि का अर्थ: कागबलि का मतलब है श्राद्ध के समय कौवों को भोजन देना। यह परंपरा पितरों को संतुष्ट करने के लिए की जाती है, क्योंकि कौवे को पितृ गणों का प्रतीक माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि कौवा श्राद्ध का भोजन ग्रहण करता है, तो यह संकेत है कि पितर संतुष्ट हैं। यह प्रक्रिया तंत्र या भूत-प्रेतों से संबंधित नहीं है, बल्कि पितरों के प्रति श्रद्धा का एक तरीका है।
पंचबलि: भोजन के अंश का वितरण
श्राद्ध पक्ष के दौरान, पांच स्थानों पर भोजन के अंश निकाले जाते हैं, जिसे पंचबलि कहा जाता है। यह प्रक्रिया इस प्रकार है: पहली बलि गाय के लिए, दूसरी कुत्ते के लिए, तीसरी कौवे के लिए, चौथी देवताओं के लिए और पांचवीं चीटियों के लिए। विशेष रूप से कौवे की तलाश की जाती है, क्योंकि इसे यम का प्रतीक माना जाता है।
कौआ: श्राद्धभक्षी का महत्व
हिंदू धर्म में कौवे को श्राद्धभक्षी माना जाता है। यह श्राद्ध के लिए एक महत्वपूर्ण पक्षी है। श्राद्ध का भोजन कौवे के बिना अधूरा माना जाता है।
काग भुसुंडी की पौराणिक कथा
काग भुसुंडी की कथा में उनका स्वरूप कौवे का बताया गया है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने उन्हें उनके काले स्वरूप को बदलने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने अपने स्वरूप को स्वीकार करते हुए ब्रह्मा जी का आग्रह ठुकरा दिया।
कौवे के संकेत और महत्व
- यदि पितृपक्ष में कौआ आपके घर में बार-बार आता है, तो इसे पितरों का संकेत माना जाता है।
- सुबह-सुबह कौआ बोलता है तो यह अतिथि के आगमन का संकेत है।
- उत्तर दिशा में कौवे का बोलना धन की प्राप्ति का संकेत है।
- कौवे का अचानक इकट्ठा होना जीवन में बड़े बदलाव का संकेत देता है।
- यदि कौआ रोटी या मांस का टुकड़ा लेकर जाता है, तो यह आपकी इच्छाओं के पूरा होने का संकेत है।
कागबलि का महत्व
- पितरों की संतुष्टि: कागबलि से पितरों को संतुष्ट किया जाता है।
- श्राद्ध की फलदायकता: कौवे द्वारा भोजन ग्रहण करने से श्राद्ध फलदायक होता है।
- पितृ दोष से मुक्ति: कागबलि करने से पितृ दोष दूर होता है।