कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व और धार्मिक मान्यता
                           
                        गंगा स्नान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान और दीपदान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। गंगा तट पर दीपदान करने से जीवन में प्रकाश, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
गंगा स्नान का धार्मिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह दिन आत्मशुद्धि, मोक्ष और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का अवसर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस तिथि पर गंगा जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में शुभता का संचार होता है।
जन्म-जन्मांतर दोष का नाश
कहा जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, यमुना, गोदावरी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के दोष मिट जाते हैं। इस दिन किया गया स्नान केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी व्यक्ति को शांति, संतुलन और भक्ति की भावना से भर देता है।
मत्स्य अवतार से जुड़ी मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर मनु को प्रलय के समय वेदों की रक्षा करने और सृष्टि को पुनः स्थापित करने का मार्ग दिखाया था।
धर्म, ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि
मत्स्य अवतार विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में पहला माना जाता है, जो धर्म की पुनर्स्थापना और जीवन के संरक्षण का प्रतीक है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से जीवन में धर्म, ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि होती है।
