कार्तिक मास 2025 में तुलसी पूजा का महत्व और नियम

कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व
कार्तिक मास 2025 में तुलसी पूजा: कार्तिक मास में तुलसी की पूजा को अत्यंत पवित्र और इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। देवी तुलसी, भगवान विष्णु के अवतार भगवान शालिग्राम की पत्नी मानी जाती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी का विवाह संपन्न होता है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, जो भगवान विष्णु को प्रिय हैं। इस माह में तुलसी की पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का स्रोत भी है। कार्तिक माह में हर सुबह और शाम तुलसी के समक्ष दीप जलाना और जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
तुलसी के सामने दीप जलाने की परंपरा
आस्था का प्रतीक:
तुलसी के समक्ष दीप जलाने की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। इसका अर्थ है कि अंधकार को मिटाकर ज्ञान, भक्ति और प्रेम का प्रकाश फैलाना। यही कारण है कि हर हिंदू घर में तुलसी का पौधा आस्था का प्रतीक बनकर पूजनीय है।
तुलसी पूजा के नियम
तुलसी पूजा के जरूरी नियम:
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि मंगलवार, रविवार और एकादशी तिथि को तुलसी के पौधे में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, इन दिनों तुलसी का स्पर्श भी वर्जित है। मान्यता है कि एकादशी तिथि को माता तुलसी भगवान विष्णु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इसलिए इस दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना भी मना है, अन्यथा माता के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है और जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।