काल भैरव जयंती: शत्रुओं से मुक्ति के लिए करें ये विशेष उपाय
काल भैरव जयंती का महत्व
मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है काल भैरव जयंती
काल भैरव जयंती का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप बाबा काल भैरव जी को समर्पित है। भैरव बाबा को तंत्र-मंत्र के देवता और काशी के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है। उन्हें सभी नकारात्मक शक्तियों, भय और शत्रुओं का नाशक माना जाता है।
काल भैरव जयंती की तिथि
इस वर्ष काल भैरव जयंती 12 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। आइए इस तिथि से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों पर नजर डालते हैं।
शत्रुओं से मुक्ति के उपाय
शाम के समय बाबा काल भैरव के मंदिर में जाएं। अपने घर के पूजा स्थल या मंदिर में सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं। दीपक में काली उड़द के कुछ दाने डालें। दीपक जलाते समय और उसके बाद इस भैरव मंत्र "ॐ ह्रीं काल भैरवाय हं फट् स्वाहा" का 108 बार जाप करें।
इसके बाद, कुत्तों को भोजन कराएं, क्योंकि कुत्ता काल भैरव जी का वाहन है। विशेष रूप से जयंती के दिन काले रंग के कुत्तों को मीठी रोटी, दूध या दही-चावल खिलाना चाहिए। मान्यता है कि कुत्तों को भोजन कराने से बाबा काल भैरव प्रसन्न होते हैं और आपके सभी शत्रुओं को शांत कर देते हैं.
विशेष उपाय
- नारियल और कपूर: इस दिन एक नारियल को अपने सिर के ऊपर से सात बार उतारकर भैरव मंदिर में अर्पित करें और उस पर कपूर जला दें। यह नकारात्मक शक्तियों और ऊपरी बाधाओं को दूर करता है।
- काले कपड़े का दान: भैरव जयंती पर किसी गरीब या जरूरतमंद को काले वस्त्र, कंबल या तिल का दान करने से ग्रह बाधाएं और शत्रु भय से मुक्ति मिलती है।
- आंवले के पत्ते और सिंदूर: यदि कोई शत्रु अधिक परेशान कर रहा हो, तो आंवले के 5 पत्तों पर सिंदूर से उसका नाम लिखकर भैरव बाबा के चरणों में अर्पित करें और उनसे उसके साथ रिश्ते को सामान्य करने की प्रार्थना करें।
